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 प्रेमचंद की बीते कल की कहानियां आज का किस्सा क्यों बनी हुई हैं?
Blue Sky Thinking
 माँ, तुम सजती हो तो दमकता है उत्सव
 उस ओर, जहाँ अच्छा लगता है
और हम प्रभु से बातें करने लगते हैं ...
कौन होता है दरिद्र?
सदा को मिल जाए दोस्ती
 जीवनसाथी वचन निभाना | नए ज़माने में ज़रूरी ये नए वचन भी लें
नज़रिये मिलते हैं, ज़रा गौर करें हम
सहेलियों, एक बात सुनोगी .....
 हमारे अंधेरों को उसके उजाले
क्या अगर हम दिवाली पर घर के साथ मन की सफाई भी शुरू कर दें तो?
 जिंदगी हमारी परीक्षा लेती है ताकि हम बदलाव ला सकें
 रिश्तों को सिलने की ज़रुरत है
 जीवन की धुप छाँव में जीवन संगिनी का समर्पण
 गुनगुनी धुप, गुनगुनाता मन !
स्त्री हूँ, हारना मना है
 बनाने में घंटों लगते हैं और खाने में कुछ पल ही
सभी अपनी अपनी यात्रा पे हैं
 ख़ुशी का पता? इन नन्हों से पूछो
हार
रिश्ते
उनके सुख की प्रार्थना
आपके माता-पिता के साथ "खींचा-खाँची' वाले रिश्ते को आसान बनाएं
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