बंद दरवाजे मन को उलझाते हैं। कोई क्यों चुप्पी ओढ़ेगा? उगने के सलीके के लिए संवार का इत्मीनान ज़रूरी है। कभी देखा होगा हम…
सामने कच्ची बस्ती में एक घर है, जिसका दरवाजा दिखाई तो नहीं देता, लेकिन दीवार की आड़ से उसका अहसास होता है। सुबह छह बजे स…
ईमानदारी वाक़ई एक अच्छी नीति है। और इसकी शुरुआत खुद से ही होती है। जब तक आप खुद से ईमानदार नहीं रहेंगे, दूसरों से कैसे र…
"प्लास्टिक की बोतल के ढक्कन जैसी आंखें, पॉलिथीन जैसी त्वचा या काई के रंग - सी हरी आंखें .. " क्या आने वाले …
आवाज़ों, खुशबुओं और यादों को कैसे मिटा पायेगा कोई। यादें बसी रहती हैं। किसी सामान में, किसी जगह पर, किसी हरकत में … याद…
ये कशमकश बेहद खतरनाक लगती है। दबी हुई छाती महसूस होती है। सांस लेने में तकलीफ़, शरीर सामान्य से थोड़ा ज़्यादा गरम और धीरे…
वादा निभाकर वो फिर आयी कई मीलों का सफर तय करते हुए अनंत आकाश में टहलते हुए घने बादलों से हाथ छुड़ाकर, सीधे मुझसे मिलने &…
क्यों हैं हम इतने बेसब्र? आईये, वक़्त का पहिया थोड़ा पीछे घूमते हैं, मिलने चलते हैं उस पुराने - बीते हुए समय को जहाँ से …
बहुत दिनों से बांध रखा था, आज बहने दिया। दो काम एक साथ हो गए, आँखों कि मदद से दिल हल्का हो गया, मन की जमीन भीगी और आंधी…
इंसानी वजूद में ना जाने कितने रंग के कितने ही धागे हैं जो अंदर ही अंदर आपस में उलझ-सुलझ कर इंसान के बाहरी किरदार पर असर…
वसंत जो ऋतु वसंत नही हो पाई, वह ऋतु होने से चूक गई है, उसके स्वभाव से अलग हो गई है। जीवन के रस में, जीवन के रास में,…
मैं इतनी सार्वजनिक हो गई की मझे मेरे से बहार सब पहचानने लगे| क्या करूँ? वक़्त की कोई खाली अंगुली पकड़ लूँ| कई बार शब्द पक…
मैं कागज़ ले के बैठी हूं, शब्दों के अंबार से कुछ अपने लिए बिन रही हूं। शब्द बहुत ज़्यादा हैं, खुद को खोया हुआ पाती हैं।…
Immunity की importance के लिए हम आजकल ज़्यादा curious हैं। यूं तो हम कम ही किसी की सुनते हैं पर #corona को avoid नही क…
हम सभी अपने आप में एक ईमारत हैं। और इस इमारत की उम्र प्रकृति ने लगभग सौ साल तक की तय कर रखी है। सौ साल की जीवनयात्रा तभ…
जब भी आप माँ कहते हैं आप ईश्वर का नाम लेते हैं | आपको पता है माँ का माँ होने ही उसकी सबसे बड़ी ख़ुशी है | जब वो अपने मम…
ख्याल गलियों में भटक रहे हैं। चलिए साथ चलते हैं। मोड़ आएंगे, ख्याल लाएंगे, पर साथ ही रहिएगा। बाहर आने की हड़बड़ाहट है। Loc…
बारिश में भीगना किसे नहीं पसंद, पर उन बूंदों की झड़ी को खिड़की से निहारना भी कहीं सुखद है। ये अल्हड - बेबाक बूँदें भिगोती…
मौन, वहाँ जहाँ शब्द ना हों। यह ज़्यादा प्रभावी अवस्था है। यूँ शब्द भी यहीं से निकलते हैं। साधारण प्रकृति के लोग तो मौन…
गौरैया गौरैया याद है आपको, वो नन्ही सी, कितनी छोटी, सादी- सी, भूरे रंग की, लेकिन उसे देख कर शायद ही कोई नज़र फेर सके।…
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