वसंत
जो ऋतु वसंत नही हो पाई, वह ऋतु होने से चूक गई है, उसके स्वभाव से अलग हो गई है।
जीवन के रस में, जीवन के रास में, जीवन के छंद में, जीवन के संगीत में उसे महसूस करने की क्षमता जुटाना ही वसंत मनाना है।
जो ऋतु वसंत नही हो पाई, वह ऋतु होने से चूक गई है, उसके स्वभाव से अलग हो गई है।
जीवन के रस में, जीवन के रास में, जीवन के छंद में, जीवन के संगीत में उसे महसूस करने की क्षमता जुटाना ही वसंत मनाना है।
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