प्रभु ने हम सभी को कुछ खूबियां, कुछ खासियत दी है, और इसलिए कुछ गुंजाइशें भी रखी हैं। परिपूर्ण नहीं होना ही शायद ज़िन्दगी की खूबसूरती है। दोनों का स्वीकार का लेना जिंदगी जीने को कहीं आसान बना देता है। तुलना, कुढ़ना, अफ़सोस, सबकी झोली में थोड़ा थोड़ा डाला गया है। पर असल अफ़सोस की बात ये है की कई सारे लोग बस तद्वाहतों में रह जाते हैं और ज़िन्दगी की झोली में दूसरी तरफ रखी नेमतों की तरफ झांकते भी नहीं।
लगता है जैसे संसार में जितने लोग नहीं हैं उस से ज़्यादा तो लोगों के अफ़सोस हैं। मेरा कद छोटा है, मेरा वेतन कम है, मेरा रंग गोरा नहीं, मेरा घर बड़ा नहीं, मेरी गाड़ी छोटी है, मेरी फोटो अच्छी नहीं आती, मेरी फोटो पे कम लाइक्स हैं, मेरे followers कम हो गए हैं, मेरी आवाज़ अच्छी नहीं, मुझे उतना आत्मविश्वास नहीं, मेरे पास अच्छे अवसर नहीं, मैं उतनी फिट नहीं, मेरी popularity ज़्यादा नहीं, मेरा जीवनसाथी understanding नहीं ........ लिस्ट बहुत लम्बी है। मुमकिन है आपके पास भी कई और भी हों। और ये स्वाभाविक भी है, क्यूंकि इंसास होने के नाते हम इस भाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकते। पर इसे थोड़ा कम ज़रूर कर सकते हैं।
अफ़सोस जितना गहरा होगा असंतोष का भाव उतना ही गहरा जाता है। इसी वजह से कई सारे सम्पन्न लोग गलत कदम भी उठा लेते हैं। फिर हम सब हैरान रह जाते हैं की इतना पैसा, शान-ओ-शौकत, इतनी नेमतों के बावजूद उसने ऐसा क्यों किया होगा !! इस भीतरी मानसिक व्याधि की वजह से बहुत -से लोग अपनी जिंदगी में कुछ कर नहीं पाते और इसी वजह से कुंठित और हताशा में डूबने लगते हैं। और अपनी खुशियों को खुद ही बर्बाद कर लेते हैं।
दरअसल, ये कम-ज़्यादा की मानसिकता हमे कोई भी अच्छा कदम बढ़ाने से रोकती है और हम तमाम खूबियों और ख़ासियतों के बावजूद पीछे रह जाते हैं। यानी जिंदगी में एक अफ़सोस और जोड़ लेते हैं।
ना भूलिए की आप सबसे अलहदा हैं। आपकी अपनी एक खूबसूरती है, सबसे जुदा। हाँ, आपको सबकुछ नहीं मिलेगा, यह बिलकुल सच है। पर जो मिला है उसकी ख़ुशी को अनदेखा नहीं करेंगे। दुनिया आपको बाद में स्वीकार या पसंद करेगी, पहले खुद को स्वीकार और पसंद करिये।
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