हम सभी अपने आप में एक ईमारत हैं

हम सभी अपने आप में एक ईमारत हैं। और इस इमारत की उम्र प्रकृति ने लगभग सौ साल तक की तय कर रखी है। सौ साल की जीवनयात्रा तभी अच्छी लगेगी जब इस इमारत की नीव मजबूत होगी। दीवारें, खिड़कियां, छत वगैराह इतने महत्वपूर्ण नहीं होते। क्यूंकि वे समय के साथ बदले भी जा सकते हैं। 

कहने का मतलब ये है की बच्चो को, जिनकी जीवन यात्रा अभी शुरुआत में है उन्हें अच्छे जीवन के रहस्य जितनी जल्दी और रोचक ढंग से हो सके समझा देने चाहिए। नहीं तो नीव कमजोर रह जाएगी। जब हर बच्चा खुश होगा आनंदित होगा तो ये समाज और देश अपने आप खुश-खुशहाल हो जाएगा। 

इसके लिए सबसे पहले ख़ुशी की परिभाषा को समझते हैं। वैसे ये परिभाषा तो सबकी अलग अलग ही होती है। किसी के लिए पैसे और साधन ख़ुशी का जरिया हैं। क्या ये शरीर का विषय है? क्यों की ख़ुशी या गम का आभास तो दिल में होता है, हमारे मन में होता है। तो चलिए, फिर मन को समझते हैं। 

मन के मन को समझना है। सारी इच्छाएं मन में जन्म लेती हैं। हम आजकल बिना इसे समझे गणित, विज्ञानं, भूगोल, इतिहास आदि की शिक्षा ले रहे हैं जो पेट भरने के सिवा कुछ और नहीं कर पाती। जीवन में कुछ है जो सिर्फ जन्म लेने, पेट भरने, बच्चे पैदा करने और फिर काल के मुंह में चले जाने से आगे भी है। हम इसके अलावा भी जो कुछ कर सकते हैं अगर वह करने की कोशिश भी ना करें तो इस 'भीड़' के साथ यह बहुत घातक होगा। 




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