जिंदगी में सुरक्षा जैसा कुछ नहीं होता

खुद को पूरा महसूस करिये 

Why is it important to be happy with yourself?


आखिर आश्रित तो विकलांग ही बनाता है, इसलिए भावनात्मक स्तर पर भी अब आत्मनिर्भर हो जाने की दरकार है।  


सुरक्षा एक ऐसा भाव है जिसको लेकर हम अक्सर परेशां रहते हैं। अपनी सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम करने के लिए हम सभी तमाम जद्दोजहद करते हैं। जिंदगी लग जाती है इसी में, हम यही करते रह जाते हैं। धन-दौलत बनाते हैं ताकि कोई आर्थिक मुश्किल आयी तो निपट लेंगे। इसलिए पैसों की सुरक्षा तो एक हद तक बनाई  है पर भावनात्मक स्टार पर जिस सुरक्षा की दरकार है हम सभी को उसका इंतज़ाम ठीक से कोई नहीं कर पाता। हां, ये बिलकुल सच है। कोई नहीं। वो इसलिए क्यूंकि या एक भाव है, वो भी इंसानी, जिसकी फितरत है बदलते जाना, सो बदलता रहता है। भरोसा, प्यार, दया आदि यह सब भाव हैं जिस से हम खुद को कुछ ख़ास चुनिंदा लोगों के करीब महसूस करते हैं। जिनसे हमने ये करीबी बनाई है वे भी इंसान ही हैं, और इंसान एक से नहीं रह पाते, मुश्किल है। 

तो जब तक हमारे रिश्ते मधुर रहते हैं हम सुरक्षित महसूस करते हैं पर जैसे ही किसी कारण से दूरी बनी तो सुरक्षा की गर्माहट भी दूर हो जाती है। अब जब घबराहट की सर्दी लगती है तो मन की आबोहवा शुष्क हो जाती है। फिर आती हैं दरारें और अहसासों से खून निकल आता है। आप आंसुओं से कितना ही धो लें पर आराम नहीं मिलता, आंसू का नमक अलगाव के दर्द को और तीखा कर देता है। हां, छाती ज़रूर दुखने लगती है और आप सुबकते हुए थक कर सो जाते हैं। ये वक़्त की हवाएं हैं जो उस घाव को भरती हैं। उस साथ की यादें धुंधलाती हैं और आप फिर एक नयी सुरक्षा ढूंढने की मेहनत में लग जाते हैं। कोई मिलता है, नहीं जमता, भटकते हैं, फिर लगता है शायद इसके साथ जमेगी, करीब आते हैं, गर्माहट फिर से मिलती है और फिर किसी दिन किसी नयी वजह से, दूर। ये सिलसिला है, चलता ही रहेगा। 

रिश्ता चाहे कैसा भी हो, कोई हमेशा के लिए नहीं। कोई हमेशा आपको, आपके सपने को, आपकी भावनाओं को, आपके अधिकारों को, आपके दर्द को, आपकी हार को, आपके टूटने को सवारने नहीं रहेगा। इसलिए बस खुद पर यकीन कीजिये। बन जाइये अपने रहनुमा। क्यूंकि जब तक आपकी साँसें हैं तब तक आप खुद के साथ हैं। यही वह साथ है जिसे हम आप जगह जगह ढूंढते हैं। हमेशा तो कुछ नहीं रहता, हम  रहने वाले, पर इतना तो है की जब  हम हैं तब तक हमारा खुद से साथ रहेगा ही।      

हाँ, अगर कोई आपके साथ रहना चाहता है, उसे आपका साथ भाता है, तो बिलकुल रहने दीजिये उन्हें। आपकी गर्माहट उनके मन की शीत दूर करे, ये तो अच्छा बात है, और आज के ज़माने के हसाब से तो नेक काम है। और नेकी तो करनी चाहिए। आप किसी की ज़रुरत बन जाइए, बस ये ध्यान रखिये की आपको ज़रुरत महसूस ना हो। 

और आखिर आश्रित तो विकलांग ही बनाता है, इसलिए भावनात्मक स्तर पर भी अब आत्मनिर्भर हो जाने की दरकार है। 
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