इक्कीसवी सदी का इक्कीसवा साल

 नव वर्ष में नव क्या है


 नए ए साल ने दस्तक दी है। #2021 दरवाजे पे खड़ा है। 

अब दीवार पर - टेबल पर नए कैलेंडर रखने हैं। पर सुबह सवेरे गुड़हल की डाली पर झूलती यह नन्ही से चिड़िया को नहीं पता। दाने चुगने आयी उस गौरैया के लिए भी इस सुबह का आना रोज जैसा ही है। पेड़ -पौधे, बादल - 'उर्वी', हवा -पानी सबके लिए सब कुछ पहले जैसा ही है।  अगर कोई बदलाव महसूस हो रहा है तो वह केवल हमारे मन में आया है। हमे महसूस हो रहा है। 

नए साल को हम कई तरह से परिभाषित करके कोई नयापन ढूंढ लेते हैं। पर क्या सिर्फ परिभाषित कर्ण ही काफी है? 

नया तब नया लगेगा जब उसे नए  निभाया जाए। क्यूंकि साल बदल रहा है तो पार्टी करके उसका स्वागत करना उसे यादगार बना लेना नहीं है।आइये, कुछ पैमाने बनाएं, कुछ न्य अनुभव करने के लिए।  गुजरे साल में हम आज के दिन जैसे थे, उस से कितने बेहतर हुए, क्या नया सीखा, क्या समझा? सिर्फ social media post करने से नव वर्ष का नयापन नहीं है, यह समझिये। 

अगर इस पृथ्वी पे हम मानव यह मानते हैं की कुछ बदल रहा है क्यूंकि नया साल है तो यह हमारी सोंच, काम करने के तरीके या जीवन जीने केअंदाज़ और खसकर की हमारे व्यवहार में दिखाई देना चाहिए।  कोई स्वस्थ बदलाव,  सकारात्मक मोड़, बेहतर अनुभव के लिए किसी नए द्वार पर दस्तक,  कुछ तो नया ज़रूर हो। 

हमारा नव हमारा अपना है और उसे हम नव की तरह मना रहे हैं , यह दिखाई दे। 


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