सिनेमा या थिएटर में हम कलाकारों को देखते हैं जो अलग-अलग तरह के किरदार निभाते हैं। अपने काम को बेहतर बनाने के लिए वे असली किरदार की जिंदगी जी कर जानते हैं और फिर उसे अपने काम में डालकर उस किरदार को जीवंत कर देते हैं।
आइये, इस तरीके को हम भी अपनाकर देखतें हैं, समझते हैं और महसूस करने की कोशिश करते हैं सामने वाले की जिंदगी - चढ़ाव को।
अपने बड़े-बुजुर्ग
फ़ोन है, पर उन्हें कोई उन्हें कॉल नहीं करता। किसी-किसी के पास फ़ोन भी नहीं है। ना बातें करने वाला कोई संगी-साथी। अमूमन हर काम के लिए किसी और पर निर्भर। शरीर की अनेक तकलीफें हैं सो अलग। दिखता भी कम है। बहार आने - जाने की भी दिक्कत। ये किसी एक दिन के लिए भी जी कर देखें। अकेलेपन की पूरी परिभाषा समझ आने लगेगी। मुमकिन है आपका उनके प्रति भाव ही बदल जाए।
सिर्फ एक हाथ से
किसी एक दिन के लिए एक ही हाथ का उपयोग करें। केवल एक हाथ के सहारे सारे काम कैसे होते हैं या अनुभव करें। उस बेचैनी, उस झुंझुलाहट को महसूस करके देखें। अब जरा सोंचिये ऐसे लोग रोज़ किन चुनौतियों का सामना करते हैं। अब अपने दोनों हाथों सलामती के लिए अनेकों बार शुक्रगुज़ार होंगे।
एक दिन की गृहणी बन जाएं
सारा-सारा दिन घर में रहकर housewives क्या ही करती होंगी? कुछ करने को तो होता नहीं, सही आराम फरमाती होंगी। तो ये आराम पसंद जिंदगी किसी दिन आप भी जी कर देखें। आप हैरान रह जायेंगे की घर के कामों से कभी फुर्सत नहीं मिलती। एक गृहणी अपने घर-संसार में जी-जान लगा देती है, इस बात का पूरा अहसास आपको हो जायेगा जब आप खुद घर जिसमे आप रहते हैं उसे अपने हाथों से संभालेंगे। माना पैसों की ज़रूरतें अहम हैं पर क्या सिर्फ पैसे दे देने से हर काम हो जाता है? चलिए, एक बार के लिए काम भी हो जाये पर दिल से ख़याल रखने वाला कहां से लायेंगे? प्यार और परवाह के साथ बिना थके आपके उठाने से पहले से ले कर आपके बाद तक के सारे काम समय आपके मकान को घर बनाती है गृहणी। उसे भी आराम की ज़रुरत है, समझ पाएंगे जब जी कर अनुभव करेंगे उसका जीवन। आसान नहीं है, बिलकुल नहीं।
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