कोरोना ने दिया है सौ साल जीने का मंत्र!




हाँ, बिलकुल सही पढ़ा है आपने, यह 2020 हम सभी को बहुत कुछ सीखा गया। ऐसा कुछ जो हमे पहले भी पता ही था पर महसूस हमने इस बीते साल में ही किया। किसी ने बेहद अहम रिश्ते खोये, किसी ने मानसिक शांति खोयी, किसी ने आर्थिक सबलता। क्या कुछ मिला भी है? हाँ, मिला है ना, सीखें। इसने वैश्विक महामारी से लड़ने की क्षमता विकसित की है। हमे अपनी सेहत के बारे में सोंचने का मौका दिया है। जिसे लगभग हम सभी ने नज़रअंदाज़ सा कर रखा था। सौ साल तक हम कैसे जी सकते हैं, यह सीख अब फिर से मिली है। 

अभी तक हम अपनी ज़रूरतों के अनुसार ही सुनते आ रहे थे। कोरोना ने शरीर की ज़रूरतों को सुनने के लिए प्रेरित किया है। 

किसी भी तरह की महामारी से खुद बचें और दूसरों को भी बचाएं इन जाने-पहचाने और आसान बातों को न भूलकर :-

भारतीय औषधियां और खाना :- 

ऐसी बिमारी आयी जिसकी दवा नहीं, पर खुद को मरने के लिए छोड़ भी तो नहीं सकते, सो भारतीय आयुर्वेद की शरण ली, सारी दुनिया ने। काढ़े के नाम पे नाक-मुँह सिकोड़ने वाले अब नियमित  काढ़ा पीने और पिलाने लगे हैं। भारतियों के लिए काढ़ा नया नहीं है। यह तो घर में नज़ला-जुखाम होने पर हिन्दुस्तानी माएं, खासतौर पर दादी - नानी घर में ही उपलब्ध तुलसी, अदरक आदि से झट से बना कर पिला दिया करती थीं। 

शहरी जिंदगियों का अभिन्न अंग बन चूका फ़ास्ट फ़ूड और non veg इस साल सेहत के लिहाज़ से खाने की टेबलों पर नहीं रखा गया। हमारे शरीर का पाचनतंत्र शाकाहारी भोजन के लिए बना है पर हमने इसमें सब डाला, सब। और कोरोना ने बता दिया की अगर उसे  हराना है तो शाकाहार अपनाने में ही भलाई है।   

योग है सदा के लिए :-

क्यूंकि केवल काढ़े पे टिके नहीं रह पाएंगे इसलिए योग और प्राणायाम का क्रेज पूरी दुनियां में छा गया। लोगों ने विभिन्न प्रकार के आसान सीखे और सोशल मीडिया पर शेयर करके प्रतिस्पर्धा जागकर एक दुसरे को प्रेरित भी किया। हर उम्र, हर समाज के लोगों ने पूरी उत्सुकता से योग सीखा और सिखाया।  

मीठा बोलें ज़्यादा, खाएं कम :- 

पिछले कुछ समय से हमारे आहार में काफी बदलाव आया है। तीन मुख्य स्वाद होते हैं। मीठा, कसैला और कड़वा। हम में से ज़्यादातर 80 % तक मीठा ही खा रहे थे। पर कोविद ने कड़वा और कसैला खाने का सबक दिया है। मीठा शरीर में जाकर क्या कारनामे करता है और कड़वा उसे कैसे कण्ट्रोल करता है, यह अब तक हज़ारों हैल्थ टिप्स पढ़ चुके हम सबको पता है।  

खुलकर हंसना :- 

बड़ी खूबसूरत नेमत है ये। चेहरे की सुंदरता और खुशियों के इजहार की इस साथी को जिंदगी से कस कर बाँध लीजिये। खुद भी मुस्कुराहटों का स्वागत करेंगे और सबको इस जिंदादिली का हिस्सा बनने की लिए प्रेरित करेंगे। 

इस से शरीर की immunity भी बढ़ती है। इस से रक्त संचार बढ़ता है जिस से खून में oxygen  की मात्रा बढ़ती है। सीक्रेट ये है की 15 मिनट खुलकर हंसने से 50 कैलोरी बर्न होती है, मोटा घटता है। यार ये तो मौज है। हंसने में तो आलस भी नहीं आता।  

पूरी नींद :- 

अच्छी नींद आने से बुढ़ापा भी देरी से आता है। क्यूंकि नींद की कमी से लाइफस्टाइल से जुडी बीमारियां जैसे हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, कैंसर, बीपी और तमाम तरह के मानसिक रोग, डिप्रेशन आदि होने की संभावनाएं 77% बढ़ जाती हैं। सोना तो वैसे ही इतना भाता है। फिर इसमें कटौती क्यों? deadlines पूरी करने के चक्कर में हम हमारी dead line के करीब जल्दी तो नहीं पहुंच रहे !

तनाव से बचें:- 

आधी से कहीं ज़्यादा जीवनशैली वाली बीमारियां तनाव से आती हैं। और ये कुछ नया नहीं बताया मैंने। लात मारो यार इसे। 

स्क्रीन टाइम तय करें:- 

आँखें सूख गयी हैं हमारी। पर फिर भी चिपके रहते हैं laptop , मोबाइल , टीवी से। आंसुओं का कोटा खत्म हो गया है। अब तो संभल जाओ यारों। काम जरूरी है पर सही screen time management से आँखों का प्यार सलामत किया जा सकता है। 

बागवानी, पालतू के साथ वक़्त बिताना  :-

प्रकृति के पास रह सके ऐसे शौक बनायें। ऐसा करने से तनाव कम होता है। हमारा  खोया हुआ मन लौटने लगता है। प्रकृति की सोहबत में हमारा शरीर मुस्कुराने लगता है। महसूस करने की क्षमता बढ़ती है। हम स्वास्थ्य के आनंद में होते हैं। 

लम्बी सिटींग से बचें :- 

कोविद के बाद से वर्क फ्रॉम होम बढ़ गया है। ऐसे में हर 2 घंटे बाद उठ कर कुछ कर लें। पानी पी लें, washroom हो आएं, घर की बालकनी या गार्डन में एक चक्कर लगा आएं, हल्का स्ट्रेच क्र लें, घर वालों से दो बात कर ले,partner  या parents के लिए चाय ही बना दें और शुक्रगुज़ारी पाएं।   

नमस्ते और परिवार  महत्व :- ऐसा केवल कोरोना के बाद ही सम्भव हुआ की नमस्ते को पूरी दुनियां ने अपनाया।  हमने परिवार की अहमियत समझी। साथ होना कितना ज़रूरी है यह अकेले रहने पर पता चला। जानलेवा संकट ही क्यों ना आ जाये, अपने हमेशा साथ होंगे, इस भाव को जीया। 

बताया जा रहा है की एक नया स्ट्रेन आ गया है जो कोरोना से 70% ज़्यादा खतरनाक है। 

क्या करें? 70% ज़्यादा घबरा जाएं ?

बिल्कुल नहीं। 

प्रबंधन सही रखें। हम किसी भी तरह के पीक को रहा देंगे। 

विश्वास रखें। 



 

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