ये साथ नहीं छोड़ती


हमारी बातों को बड़ी दिलचस्पी से सुनती है, सहेजती है। हम यहां अपने अच्छे बुरे हर तजुर्बे को दर्ज करते हैं। हमारी यादें यहां बड़ा सुकून भरा माहौल पाती हैं। ये यादों की चहलकदमी कई सारी मुस्कुराहटें और इत्मीनान संजो लेती हैं। हमारा साथ कभी ना छोड़ती, हमारी डायरी।  

हर दौर अच्छा नहीं होता। जब मुड़कर देखते हैं इत्मीनान आता है की बीत गया। हमारा चेहरा एक भीनी मुस्कुराहट ओढ़ लेता है  उस वक़्त को याद करते हुए जब उस घड़ी का हम सामना कर रहे थे। वो हौसला याद आता है, वो मदद भी याद आती है और हैरत भी होती है की कैसे पार पा गए उस मुश्किल घड़ी को। ऐसी दर्ज यादों के नीचे एक चटक लकीर खींच देने से ये मन की सतह पर सदा के लिए याद रह जाती हैं। 

डायरी हमे वो पल भी याद दिलाती है जब हमने बचकानी हरकतें की, नादानियां की, पर आज उस पर हम अनायास ही हंस पड़ते हैं। किसी का कुछ कह जाना, कोई घटना, कोई यात्रा, किसी का मिलना, हर अनुभव का अपना एक भाव है, कहानी है, सबक भी है। इसलिए अपनी डायरी के साथ साझा करने के लिए लम्हों की कोई कमी कभी नहीं रहती। 

अभी एक नया साल शुरू हुआ है। नए अनुभवों की झड़ी लिए यह साल अभी आकर खड़ा हुआ ही है। यादों का एक और पड़ाव हम सबकी राहों में आएगा।  

एक बात और,

साल का अपना हिस्सा ज़रूर रखियेगा। यूं तो हर साल की तरह ये भी बीत ही जाएगा पर कुछ लम्हें हमारे अपने होते हैं। इन्हे सिर्फ 'बीत जाने' से बचा लीजिये। जी लीजिये इन्हे। और ये हो सकता है। 



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