चलिए सुलझा लें रिश्तों का मांझा

काय पो छे !

beautiful designer kites for Kite Flying Festival


कुछ एक सा ही रहता है पतंग की डोर और इंसानी रिश्तों का ताना-बाना

परिवार, दोस्त या सहकर्मी, रिश्ता चाहे किसी के भी साथ का हो, एक अनदेखी डोर से बंधा होता है। यह डोर किस की बनी होती है ये हमारा स्वभाव तय करता है। जब तक ये डोर सुलझी रहती है तब तक रिश्ता सहज बना रहता है। जो उलझा तो खाइयां आ जाती है। और हम सूखी मुस्काने ओढ़ लेते हैं। 

हमारे क्षितिज एक हो सकते हैं पर आसमान अलग-अलग हैं 

चाहे वो बच्चा हो या बड़ा, यह समझना बेहद ज़रूरी है की हम सबका जीने का अपना तरीका है, चीज़ों को देखने का अपना नज़रिया है, अपनी सोंच है, अपने हिस्से का आसमान है। सबका अपना पहलू है, अपनी वजहें हैं जिनसे वे झूझ रहे हैं। जिस तरह मांझा लड़ते ही पतंग को काट देता है उसी तरह दखलंदाज़ी रिश्ते की डोर तोड़ देती है। 

जैसे पतंग हवा के साथ अपनी दिशा बदल लेते हैं वैसे ही हम भी अपने स्वभाव को रखें। सबके भावनाओं की क़द्र करते हुए उन्हें उनके हिस्से के आसमानों में जीने दें। 

 रिश्तों की पतंग को भी होती है ढील की ज़रुरत 

जो हमें अच्छे लगते हैं हम उन्हें अपने नज़दीक रखना चाहते हैं। उन्हें अपने पास बांध ही लेना चाहते हैं। हक़ का भाव रखना कहीं ग़लत नहीं है पर कई बार ना चाहते हुए भी ये बेड़ी बन जाता है। जिस तरह हमे अपने मन से जीने का मन करता है, सबको करता है। तो अगर हम अपने प्रियजनों को अपने पास ही बांध लेंगे तो वे खुश ही रह पाएंगे। इसलिए ढील दीजिये अपने रिश्तों की डोर को भी ताकि उन्हें अपने मन का करने और जीने की छूट मिले। और वैसे भी प्यार हम किसी पर थोप या लाद नहीं सकते ना? 

बस सहज गुंजाइश रखिये। किसी को भी जकड़न महसूस न हो। पतंग को ढील देते हैं तो वह ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार होती है वैसे ही रिश्ता अगर खुली सांस ले पाएगा तो स्वस्थ जियेगा। फर जैसे पतंग की डोर आपके हाथों में ही रहती है वैसे ही रिश्ता आपके प्यार से सहज ही बंधा रहेगा बिना घुटन के। 

मत काटिये, उड़ने दीजिये 

किसी की बात को, किसी के किये गए काम को काटने का तरीका न ढूंढें। अगर कुछ गलत लगे तो सुझाव दीजिये। किसी को भी गलत साबित करने की कोशिश क्यों करनी है? ये समय जाया करने जैसा है। हमारे व्यक्तित्व का सकारात्मक पहलू सबको भाता है। 

रिश्ते साथ रहकर उड़ान भरने में ही खिलखिलाते हैं। इसलिए गलतफहमियों को मन के आसमान पर मंडराने ना दें। 


Reactions

Post a Comment

0 Comments