जब लगे 'मेले' में अकेला
बना लीजिये अकेले में 'मेला'
अकेलेपन को अक्सर नकारात्मकता से जोड़ा जाता है। लेकिन इस विषय के सन्दर्भ में हमेशा ऐसा सोचना गलत है।जीवन में कई बार उत्साह की कमी होती है। खासतौर पर उनके लिए जो अकेले रहते हैं या किसी कारणवश अकेले रहने को मजबूर होते हैं। अकेले रहने वाले व्यक्ति के सामने बहुत सी चुनौतियां आती हैं। बहुत मुमकिन है की तन्हा व्यक्ति कभी कभी मायूस महसूस करे, इसलिए अकेलपन के साथ उत्साह का होना ज़रूरी है।
मौका स्वयं के आत्मविश्वास को परखने का
दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्होंने जीवन में अकेले अपने आत्मविश्वास की बदौलत बहुत कुछ हासिल किया है। ऐसे में अकेले एक मौका हो सकता है खुद को जानने-समझने का, अपने आत्मविश्वास को परखने का।
जिंदगी को खुलकर जियें
ये एक तरह से अच्छा मौका हो सकते है खुलकर जीने का “मेरी मर्जी” वाले एटिट्यूड को जीने का। इस दौरान आप कुछ स्पेशल, अनोखा एडवेंचर ट्राई कर सकते है जो शायद आपने पहले कभी अपने दोस्तों या परिवार के साथ घूमने के दौरान न किया हो। मतलब कि थोड़ी मस्ती, थोड़ी शरारत के जरिये आप अपने खुद के साथ अच्छा खासा यादगार बना सकते हैं।
खुद को दें थोड़ा वक्त
चाहे स्टूडेंट हो,कामकाजी हो या कोई भी हो सब अपने ज़िन्दगी के पहिये को बड़ी तेज़ी से घुमा रहे हैं। भूल गए है वे खुद को। हां, आईने में देखते ज़रूर हैं पर सिर्फ बाल ठीक करने को। तो क्यों न कुछ वक्त खुद के लिए निकला जाए। जिंदगी को एक अलग नज़रिये से देखा जाए।
अकेलेपन में भरें उत्साह रंग
अच्छी किताबें पढ़ें
हम अकेला क्यों रहना चाहते हैं? क्यूंकि इंसान का साथ शायद हमें कम भाता है। तो किताबें इंसान नहीं हैं पर एक साथी होने की सभी खूबियां मौजूद हैं इसमें। आप दुनियां से कटना चाहतें हैं, किताब आपको एक अलग दुनियां में लेकर चली जाती है। आप के लिए कितना कुछ होता है उसके पास। फिर कभी आपकी बातें भी चुप चाप सुनती है, अगर अपने ज़्यादा कुछ कहना हो तब भी आपसे ऊब के उठ कर चल नहीं देती, वहीं आपके पास बानी रहती है बिना कोई आंकलन किये, ठीक वैसे जैसे हम चाहते हैं की हमें कोई सुने।
कई बार हमारे नज़रिये को एक किताब इस कदर बदल देती है की हम पहले जैसे नही रहते। चिड़चिड़ाना, बैचेन होना, दुखी या नाराज़गी अब हमे परेशान नहीं करती।
फोटोग्राफी
कैमरा भी एक अच्छा दोस्त है। मिज़ाज़ इसका भी कुछ किताब जैसा ही है शांत और करीब रहने वाला। ये उन यादों को संजोता है जिन से आप कभी-कभी बात करना चाहते हैं। तो अपने झोले में एक तरफ इसे भी रख लें जब भी बहार निकलें। बड़ी कम जगह लेता है कैमरा। वैसे तो photography के लिए हमेशा बाहर ही निकला जाए ऐसा ज़रूरी नहीं। हम जहां हैं ,अपने घर पर, अपने कार्यस्थल पर कहीं भी फोटो ले सकते हैं अगर हमे कोई नज़ारा दिलचस्प लगती है तो। और एक बार जो इसके साथ रहे, यकीन मानिये, लत पड़ जाती है। मेरा तो अनुभव यही रहा है।
कम से कम दिन में एक बार किसी से बात
हां, बिलकुल आप किसी से बात करने से बचना चाहते हैं। आखिर यही तो मसला है, तभी तो अकेले रहने की सोंची। ठीक है। चलिए दिनभर नहीं ना सही, पर पूरे दिन में केवल एक बार, सिर्फ एक बार किसी दुसरे इंसान से बात ज़रूर करें। क्यूंकि हम भी हैं, इंसान। इसलिए इस connectivity को ना तोड़ें। कोई ऐसा ज़रूर होगा जिसके साथ आपको सहज लगता हो। जिसके पास बैठने से या साथ टहलने से हल्का महसूस होता हो। दस मिनट के लिए ही सही, ज़रूर बोलें। कुछ अपना कहेंगे, कुछ उनका भी सुनेंगे। जमी हुई बर्फ के पिघलने का सा एहसास होगा। जिस तरह जुखाम में नाक खुलती है, जी, वैसे ही blockage खुलने जैसा एहसास होने लगेगा धीरे-धीरे। कहने की ताकत को समझना ज़रूरी है।
काम एक तरीके दो
किसी भी काम को नए तरीकों से करने से ज़िन्दगी में नयापन बना रहता है। यही तो करना है ऊबन तोड़ने के लिए। रोज़ के काम हैं, हम उन्हें एक तरीके से करते हैं। हमारा ध्यान ना भी हो तब भी सब होता जाता है। क्यों ना, कुछ अलग तरह से किया जाए। जैसे सुबह की चाय हड़बड़ाहट की जगह घर के बगीचे में पी जाए। किसी दिन रात का खाना छत पे किया जाये, मोमबत्तिओं के बीच। होगया ना candlelight dinner. खुशियां यहीं हैं जनाब, बस खोज लीजिये।
कुछ नया सीखते रहें
ये आदत मेरी पसंदीदा है। हर कुछ दिनों में कोई नई चीज़, नया काम, नया कौशल, कुछ भी नया, सीखा जाए, या सिखाया जाए। आपका अकेलेपन की तरफ ध्यान भी नहीं जायेगा। और कितना कुछ सीथे और सिखाते चले जायेंगे आप।
वीकेंड का इंतज़ार ना करें, जब मन करे घूमने, टहलने निकल जाएं
अक्सर हम छुट्टियों का इंतजार करते रहते हैं कहीं बाहर जाने के लिए। और अगर उस वक़्त कोई काम आ गया तो फर अगले वीकेंड पर बात टल जाती है। ऐसा ना करें। काम तो आपको समझ आ ही गया होगा अब तक, की जीवन भर चलते रहते जाना है। उसके खत्म होने पर ही प्लान करेंगे अपना घूमना तो फिर भूल जाइये की आप कभी कहीं बाहर जा भी पाएंगे। इसलिए जब मन करे, बस निकल पढ़िए। office, छुट्टी वगैरह की चिंता किये बिना। कुछ पैसे ही तो काटेंगे पर आप खुश होकर लौटेंगे तो ये सौदा बहुत सस्ता है।
अजनबी से बात करें
ये अजनबियों की प्रजाति बड़ी कमाल की होती है। इनके साथ आप कुछ भी साझा कर सकते है। न कोई डर रहता है किसी बात का। वे हमारी बातों को एक अनकही सी सुरक्षा भी देते हैं। इन बातों के सिलसिले में कई बार हमे अच्छे रिश्ते भी अनायास ही मिल जाते हैं। आप चाहें तो पहल करने का मौका चुरा सकते हैं।
सहारा बनें
वह जिसके पास कोई सहारा नहीं है वो बेहतर समझ सकता है इसका मतलब। इसलिए किसी और को ये दीजिये। ऐसा बिलकुल ज़रूरी नहीं की आपके पास नहीं तो आप दूसरों को कैसे देंगे। नहीं। आप दे सकते हैं। चाहेंगे तो ज़रूर दे पाएंगे। और संभव है इसी दरमियान आपको कोई मिल जाये। कोई, कहीं भी, कभी भी, मिल सकता है यार।
आने वाले कल चिंता ना करें
सबसे अहम बात, आने वाले कल को संशय के चश्मे से नहीं, उत्सुकता की नज़र से देखिये। चिंताएं खत्म नहीं होतीं। ये तय है। इसलिए चिंतित रहने को तय ना कीजिये। मात दीजिये अपनी उन्मुक्तता, उत्साह, सकारात्मकता मिठास, उमंग के रंगों से। खुश सेहत बने रहें, अंततः हम सब यही तो चाहते हैं। और वो चितना करने से होगी नहीं। तो अपनी धुन में मस्त होकर ज़िन्दगी का गीत गुनगुनाइए।
इनमे से जो भाए उस सुझाव को आजमाकर देख लीजिए, अकेलापन उदास नहीं उत्साह लगने लगेगा।
3 Comments
Wow , u wrote something very true about alone ones ... Being alone have it's own beauty . So we have to take it as blessing not curse . Beautifully u chain it with words and situations . Great keep going rock . Best wishes 💗💗💐💐
ReplyDeleteThank you for being so thoughtful response. I encourage you to stay connected. Loads of Love.
DeleteWow , u wrote something very true about alone ones ... Being alone have it's own beauty . So we have to take it as blessing not curse . Beautifully u chain it with words and situations . Great keep going rock . Best wishes 💗💗💐💐
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