जोड़ लीजिये खुद से प्यार और सरोकार का रिश्ता
जितना हक़ किसी का हमारे प्यार पर है उतना ही हमारा भी। तब दिल खाली नही रहता, क्यूंकि आपका स्नेह उसमे पल्लवित है। फिर जब बुनियाद में मजबूती आ जाये तो किसी भी रिश्ते को थामा जा सकता है।
हर रिश्ते को निबाह की दरकार है। ठीक वैसे ही उस रिश्ते को भी जो हम सबका होता है अपने आप से। पर सब कुछ निभाने में हम खुद से ही दूर हो जाते हैं। और शायद यही कारण भी है की हम कुछ सही से संभाल भी नहीं पाते। सही भी है, खाली बर्तन से आप सामने वाले को दे भी क्या सकते हैं? उनकी ख़ुशी के लिए हम खुद लुटाते रहते हैं और खोने लगते हैं खालीपन में। इसलिए खाली ना होने दें। इसलिए जोड़ लीजिये खुद से प्यार और सरोकार का रिश्ता। अपने आप से जुड़े रहना बेहद ज़रूरी है। यह सबसे अहम रिश्ता है। अगर हम ये संभाल लेंगे बाकी रिश्तों की निबाह की राह आसान लगने लगेगी। सबसे जुड़कर अपने आप से ही दूर हो जाने की गलती करने से खुद को बचा लीजिये।
जद्दोजहद जिंदगी की
ये हमेशा रहेगी। घर, परिवार, काम की जिम्मेदारियां किसी एक दिन खत्म नई होने वाली। पहले ये फलां काम कर लूं फिर फुर्सत के लिए वक़्त निकाल लेंगे, यह सोंच सही नहीं है। ऐसी मसरूफियत ना पालिये जो आपको खुद से बात करने का मौका भी ना दे पाए। वो साड़ी उपलब्धियां, सारा साजोसामान सभी चमक-धमक, सब, मन में बहते खालीपन को भर नहीं सकता। कभी नहीं।
मन की बात
अगर पहले कभी ना किया हो तो एकदम से हम खुद से बात नहीं कर पाते। सही बात है। इसलिए खुद को जानने-समझने की कोशिश ज़रूरी है। मन से बात कर लेने से नकारात्मकता भी दूर होती है। अपने आप से प्यार करना खुद को समझने की राह पर पहला कदम है। जैसे ही हम खुद से जुड़ते हैं वैसे ही साकारात्मकता का भाव आ जाता है। फिर वहां स्नेह बहता है, खुद के लिए भी, औरों के लिए भी।
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