मुस्कुराहटों के सिलसिले
मुस्कुराना, जिसे हम कई बार याद नहीं रखते, वापस चेहरे पर लाते हैं,
एक दूजे देकर एक सिलसिला बनाते हैं।
Exchanging smiles
with the one who passes by our eyes.
Let's make it the new normal.
मुस्कराहट, तबस्सुम, हंसी, कहकहे, ये नेमतें हैं जो प्रभु ने सब को बक्शी हैं पर अहसास इसका किसी-किसी को ही है। जिंदगी में हम कई बार ऐसे चेहरों को देखते हैं जो दुख, निराशा, हताशा, द्वेष के पर्यायवाची दिखते हैं। इनके साथ वही व्यवहार ना कीजिये जो इनके व्यक्तित्व से भभक रहा है, बल्कि ये सबसे पहले हकदार हैं हमारी मुस्कुराहटों के तोहफे के।
किताब के पन्नों की तरह दिन पलटते चले गए, ना जाने हम कब इतने बड़े हो गए की ये मुस्कुराहट हम आज खुद में भी खोज रहे हैं। जहां भी देखते हैं हर शख्स खुश रहने के लिए परेशान नज़र आता है। और ऐसे में कोई अगर ऐसा दिख जाए जो बात-बात पे मुस्कुरा देता है तो हमे उसके व्यक्तित्व की गंभीरता पर होने लगता है।
शायद खुशफहमियों की थपकियां भी खुश हद तक ज़रूरी हैं जिंदगी में क्यूंकि हर हकीकत ज़िन्दगी को मुस्कुराने नहीं देती। एक भाषा है ये जो निराषाओं के बादलों को हटाती हुई अटके हुए को गति का सन्देश देती है। इसका असर सेहत पर भी पड़ता है। आसपास वाले पूछने लगते हैं कौनसी दवा है?
किसी को देने के लिए इस से बेहतर और क्या हो सकता है! पर हां, मुस्कानों के मुखौटे ना पहनिए। इनका वज़न भी बहुत होता है। इसे ढोए, हम खुद भी थकने लगते हैं। फिर ऐसा क्यों करना? हां, बड़ी कीमत है सच्ची -ईमानदार मुस्कानों की, पर ये किसी को देने से हमारी झोली कौनसा हल्की हो रही है? तो क्यों कंजूसी करते हैं? खुल के दीजिये तोहफा जो नज़र में दिखे उन्हें।
कहते हैं वह दिन जब आप एक बार भी ना मुस्कुराये, तो वह दिन सबसे खराब बीता हुआ मन जाता है। अब अगर कोई आजू-बाजू ना भी हो तो मुस्कान का ये तोहफा हम अपने आप को भी दे सकते हैं। मुस्कुराती आँखों होठों से ज़्यादा खूबसूरत शायद कुछ भी नहीं हो सकता। चाहे इंसान हो या कोई और जीव, उसकी हंसी की झंकार नाउम्मीदी की धुंध को साफ़ कर ख्यालों को सांस देती है।
जिंदगी जीने के लिए सपने,साहस, सौहार्द, सरलता की ही ज़रुरत है। क्यूंकि क्या है की ज़्यादा कुछ साथ लेकर भी नहीं जा सकते ना? तो चलिए, झुंझुलाहट छोड़िये, मुस्कुराहट दीजिये और स्वीकार कीजिये।
0 Comments