Women's Day
चलिए इसे हमेशा के लिए Happy बनाते हैं
विमेंस डे, अब तक कई सारे पोस्ट देख लिए होंगे हम सब ने, कुछ कुछ फोटो dp पे या सोशल मीडिया पर लगा ली होगी, और हां किसी ने कह भी दिया होगा अपनी सहकर्मी को, और अगर ध्यान रहा तो अपनी पत्नी या माँ को (क्यूंकि क्या है की workplace पे अगर Women's' Day 'wish' नहीं किया तो आपके troll होने का खतरा रहता है)।
नकारात्मकता वाली बात कह सकते हो, पर उस भी ज़्यादा ये सही बात नहीं लगती आपको? ये इतने सालों से जो विमेंस दे हम 'मनाए' जा रहे हैं उस से तो इस पृथ्वी की महिलाओं को खुशगवार रहना चाहिए ना? और Men's' Day तो मानते भी नहीं हैं। इस हिसाब से तो और ज़्यादा खुश खुशाल होना चाहिए। है क्या ऐसा?
ऐसा हो जाएगा - ये उम्मीद करना भी व्यर्थ है। तो क्या नाउम्मीद हो जाएं? बिलकुल नहीं। उमीदें खुश भाव हैं। उनसे दूरी नहीं करनी। उम्मीद ज़माने से नहीं खुद से करें। ऐसी कुछ और बातें जो मैंने खुद से की तो समझ आयी। आपके साथ भी साझा करती हूं।
जब मोड़ आते हैं, रोड़े पड़ते हैं, तो नदी का वेग और भी बढ़ जाता है। आशंका व्यक्त करने वाले और संदेह रखने वाले भी किसी रोड़े से कम नहीं होते। इसी वजह से वे वेग की प्रेरणा बनते हैं।
जब जीवन की बात आए तो निर्भीक बनें और जब लोगों की आपके बारे में सोंच या उनकी बातों का मुद्दा हो, तो बेपरवाह बन जाएं।
मुश्किल दौर है, दर्द है, सबक है- ये सब आपके लिए किसी दिन आपकी ताकत बन जाएंगे, आपकी समझ, आपके हित में दुआएं।
रानी की तरह सोंचिए। क्यूंकि एक रानी कभी भी असफलता से नहीं डरती है। जानती जो है कि वह सफलता की ही सीढ़ी है।
दिन-रात घर में काम करने वाली स्त्री कामकाजी नहीं होती। क्यों? इस सोंच को निकाल बाहर फेंकें।
एक लम्हा काफी है, अपने आप में थोड़ा बड़ा महसूस करने, अपने अनुभवों को विस्तार देने लिए। सिर्फ नज़रिये की बात है। इसे बदलिए जिंदगी के नज़ारे अपने आप बदल जाएंगे।
खून के रिश्तों के निबाह में अनिवार्यता शामिल होती है, लेकिन दिल के रिश्ते जो बनाते हैं, निभाते हैं उनका मान सबसे बड़ा हो जाता है।
अगर आप अपनी जिंदगी की लगाम अपने हाथ में नहीं रखेंगी, तो इस पर दुसरे नियंत्रण कर लेंगे। अगर आप अपनी प्राथमिकताएं नहीं तय करेंगी, तो आप खुद अपनी ही प्राथमिकताओं की सूची में बहुत नीचे छूट जाएंगी।
दस मिनट के लिए लेट जाएं, गहरी सांस लें। आंखें बंद करके, खुद को भीतर की अफरा-तफरी से अलग करके, भीतर की उस शान्ति से जोड़ लें, जो आपको सुकून देती हो। फिर से खुश रहने का समय अपने लिए निकालें।
मन कई बार उदास हो जाता है। लगता यही अब कुछ। धोखा खाना, नाराज़गी झेलना जैसे नियति लगने लगती है, में यह बात याद करिये - " रिमझिम में पत्तों की आड़ में गाते पंछी के गीत की आवाज़ की तरह उदास रात के अंधेरों में अच्छे लम्हों की याद को दिल में संजोए रखिए।"
अपना पैसा उन वस्तुओं में खर्च कीजिये, जिनको धन से खरीदा जा सकता हो। लाभ या हानि की चिंता ना करें। अपनी ऊर्जा उन वस्तुओं के लिए बचाकर रखिये, जिन्हे पैसा नहीं खरीद सकता।
जीवन के मकसद लड़कियां भी बना सकती हैं। वो हासिल करने से पहले किसी मोड़ पर मुड़ना ना चाहें, तो इच्छा सम्मान योग्य नहीं मानी जानी चाहिए?
जब तक इस पृथ्वी पर स्त्रियां हैं तब तक ये दुनिया सुरक्षित है। क्यूंकि स्त्री के रूप में जन्म लेना ईश्वर होना है। या शायद इस से भी कहीं ज्यादा। हर कदम पे जो पाबंदियों का सैलाब पार करना पड़ता है। एक ईमानदार मुस्कुराहट के साथ सच्ची सराहना कर देने मात्र से वह खुद को पूरा उंडेल देने को हमेशा तैयार रहती है। उसका सम्मान करना ही उसकी पूजा है।
सुनो शक्ति, एक बेहद ज़रूरी बात -
अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ, अपने पैसे खुद कमाओ, अपने ताकि कभी किसी पर निर्भर ना रहना पड़े, चाहे वो "किसी" कोई भी पुरुष क्यों ना हो, कितना भी सागा, कितना भी अपना। यह गांठ बांध लो।
अपने सपनों की ज़िम्मेदारी खुद लेना बहुत ज़रूरी है। और यह बात सही भी है। कोई दूसरा हमारे सपने क्यों पूरे करेगा? उसके पास खुद के सपने हैं पूरा करने के लिए। वो आगे से कर दे तो अच्छी बात है पर, उस से ये उम्मीद रखना बेहद गलत। आत्मनिर्भर बनो यार। जब कुदरत ने इतना सशक्त बनाया है की तुम पुरुष को बनाती हो तो तुम्हारा जीवन को क्यों नहीं ? ख़्वाबों को पूरा करने की संभावना कभी खत्म नहीं होती। ना किसी के आने से (बच्चा), ना किसी के जाने से (कोई भी, पति, माँ-पिता)।
पिंजड़ा तोड़
खुद से निकल
उंगलिओं से सारी गिरहें निकाल
कुछ छूटा, छूट जाने दे
सिसकियों को अब थम जाने दे
कहती है ज़िन्दगी
जीते हैं चल
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