आंचल | इस से बेहतर सुरक्षित और कहीं महसूस किया है?

अपने संसार को एकआंचल में कैसे समेट लेती हो 

indian mother with her baby

पक्षी अपने पंखों का आंचल बना लेते हैं, कंगारू अपनी थैली को। हर जीव अपनों को अपनी तरह से सुरक्षा देता है। आंचल को केवल कपड़े का एक छोर समझने की भूल ना करें। ये दिल का दरवाजा है, जहां कोई शब्द- कोई आवाज़ नहीं।  

ना सिर्फ हम, आसपास सब जो कुछ भी है, सब, प्रकृति के आंचल के बिना नहीं रह सकते। जैसे ये शब्द आंचल है उसके मतलब का, मतलब आंचल है उसमे छिपे भाव का और भाव आंचल है हमारे अंदर घूम रहे विचारों का। 

आंचल का मतलब है पूरी तरह से अपने में समेट लेना। ये सुरक्षा का भाव देती है। जैसे हम जब किसी से गले मिलते हैं, तो उसे हर तरफ से खुद में समेट ही तो लेते हैं। जैसे कह रहे हों की मेरे होते हुए तुम्हे कुछ नहीं हो सकता। 

सुरक्षा हमारी बेहद ज़रूरी ज़रुरत है। एक ऐसा भाव भी है जहां दूसरे की सुरक्षा करके भी खुद को ही ख़ुशी मिलती है - जब माँ अपने बच्चे को आंचल में छुपा लेती है। कहीं ज़रा सा कुछ हुआ नहीं की तुरंत अपने बच्चे को अपने आंचल से ढक लेती है। ज़िन्दगी की बदलती राहों में यही वात्सल्य, प्यार, स्नेह, श्रद्धा का पर्याय बनते जाता है। बच्चे की तरह ही पति भी यह आंचल वाला भाव रहता है। और आगे जब जिंदगी की शांम हो जाए तब बुढ़ापे में भी इसकी ज़रुरत बनी ही रहती है। ये परवाह हमें हमेशा चाहिए रहती है। 

सुरक्षा कौन दे सकता है? जिसे प्यार है और डर नहीं। जो खुद को दांव पे लगा देने में ना हिचके।  खूबसूरती है इस भाव की, ज़रुरत पड़ने पर बिना बुलाये हाज़िर रहना। यही माँ होने का भाव है। पति को भी ज़िन्दगी में कई बार यही भाव की ज़रुरत पड़ती रहती है। जब वह बेचैन होने लगता है, छटपटाने लगता है तब यही आंचल उसके आंसू पी जाता है। भावुक होना पुरुष झेल नहीं पाता। अपने संसार को एक आंचल में समेट लेने का वरदान स्त्री को मिला है। एक ऐसी छांव जहां प्यार महकता है, वहीं प्रभु रहते हैं। आखिर वे भी तो प्यार के भूखे हैं।  


Reactions

Post a Comment

0 Comments