ईमानदार लोगों को बस याद भर कर लीजिए,
इसी में हमारी तपस्या है।
क्या आपको भी लगता है की हमारे आसपास रहने वाला साधारण इंसान आजकल ज़माने में एक "Unwanted Person" बन गया है? वह एक ऐसे स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता है जिसमे सहजता है, सच्चाई है, सरलता है, संवेदना है और थोड़ा स्नेह भी है। जो अपने काम के लिए जहां भी कहीं जाता है वहां उसका काम अधिकतर अटक ही जाता है या सामान्य से ज़्यादा समय लग जाता है। वह अपने सामान्य से घर में सीमित संसाधनों में जीता है। उसका धरती को दोहन करने का (Carbon Footprint) प्रतिशत बहुत कम है। वह अपनी छोटी सी आशा लिए, अपना काम लेकर जाता है, किसी अफसर या बाबू से गुहार लगाता है, अपनी मद्धिम क्षमता के हिसाब से। उसके पास कोई पहुंच नहीं है। ना वह कोई रिश्वत देने की स्थिति में ही है और ना ही चालाक है पर ईमानदार ज़रूर है।उसकी थकावट और बेबसी को वहां अफसर "Gentleman" समझ जाता है। और कह देता है बाद में आना।
यार एक बात बताइए, इंसान को ईमानदार बनने के लिए बड़ी तकलीफों करना पड़ता है, पर बेईमान बनने के लिए उसे कोई दिक्क्त क्यों नहीं होती? जैसे की, जो व्यक्ति दिल से किसान है, रोज़ सवेरे अपने खेतों पर जाता है, उसे ख़ुशी होती है अपनी लहलहाती फसलों को देखकर। वो किसी की बुराई नहीं करता। वह इतना सादा है की अगर उसे किसी को पैसे देने हैं रातभर सो नहीं पाता। उसे पैसे देने की जल्दी लगी रहती। है
एक ईमानदारी हमारी स्वयं के प्रति भी बनती है। और यह प्रेरणा हमे हमारी ज़िन्दगी में कभी कबार मिलने वाले ऐसे लोग दे जाते हैं। ये जो किसी को दिखाने के लिए ईमानदार नहीं हैं। बस इन्होने अपने ईमान पर धूल नहीं जमने दी। बात यह है की ऐसे लोग अब चुनिंदा की श्रेणी में आ गए हैं।
इसलिए ऐसे लोगों को याद भर कर लेना ही जैसे की एक प्रकार की तपस्या ही है। ये दुनियां शायद इन्ही साधुओं की वजह से टिकी हुई है।
2 Comments
बहुत ही बेहतरीन लेख! यथार्थ बताती हुई, आज के समय मे ईमानदारी से जीना सज़ा हो चुकी है!
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद, कहानी ग्राम आते रहें :)
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