माँ सांस है तो पिता जिंदगी
पिताजी की नज़रें हमेशा मुझ पर रहती हैं, गाहे-बगाहे उनकी हर सोंच में जैसे उनकी उरु ही उधम मचाती है।
भावुक होने पर वे ऐसी भाव भंगिमा बना लेते हैं जैसे चेहरे की कोई एक्सरसाइज कर रहे हों। जो बहुत भर गया तो सहज होकर बहने भी देते हैं। मेरी कामयाबियों पर इतना गर्वित होते हैं की उन्हें अपने ज़ज़्बात बताने के लिए कोई भी शब्द पसंद नहीं आता। पर दबंग आवाज़ में आने वाले कल के लिए हिदायतें दे कर हमेशा चौकन्ना रहने को प्रेरित करते हैं। मेरे सुकून के लिए अथक जद्दोजेहद करते हैं।
पिताजी की दिल की अनुभूतियाँ बेहद कोमल हैं। आखिर क्या कुछ चलता होगा उनके भीतर, ये जिज्ञासा मुझे बनी ही रहती है। वक़्त के रूखेपन ने उन्हें बहुत खँरोंचा है। परिवार में भी उनका लगाव अनदेखा ही रह गया। अपने जीवन के छः दशक बड़े चाव से बिताये उन्होंने। मेरी जिंदगी में कोई आभाव दस्तक ना दे इसका ख़ास ख्याल रखा उन्होंने हमेशा से। यूँ मेरी माँ शक्ति स्वरूपा है पर परिवार का मुखिया होने के दायित्व को पिता जी ने हर हाल में बड़ी संजीदगी से निभाया है। आपने अपने कन्धों के झूले का आनंद भी दिया और मज़बूत हाथों से ऐसी परवरिश की कि मैं हमेशा बेफिक्री के आलम में रही।
बच्चों के पिता रोज़ शाम को घर लौटकर भी काम का तनाव, थकान में उलझे रहते, जब तक कुछ आराम करते तब तक बच्चे सो जाते। ना बच्चे अपने पिता के साथ अठखेलियां कर पाते और ना ही पिता उनकी छोटी छोटी बातों - जज्बातों को महसूस कर पाते। ले दे कर उनके पास सप्ताह के दो दिन होते हैं जिसमे पिता यही सोंचता है की ऐसा क्या कर ले की बच्चे खुश रहें। भावनात्मक स्तर पर करीब आने के लिए इतना सा समय कम पड़ता है। पर मेरे लिए ये कमी कभी नहीं रही। मुझे आपके स्नेह का हर लम्हा मिला। और सीक का भी। बचपण में तो आपके प्यार का पूरा एहसास नहीं होता था पर अब अक्सर आपके मन के अनकही बातें समझने की कोशिश करती हूं।
जो मौका मुझे पिता के साथ जीने का मिला है, प्रभु करे वो सभी बच्चों के बचपन में आए। पिता दूर ना लगे। पिता के हिस्से का प्यार पिता को भी अपने बच्चों से खुलकर और कई गुना मिले।
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