सात फेरे और सात वचनों के साथ सात जन्मों के साथ का वादा है विवाह।
बदलते समय में भी सप्तपदी की यह रस्म कायम है।
हांलाकि , चाँद वचन इसमें जोड़न नए वक़्त में रिश्तों के जोड़े रखने के लिए ज़रूरी हो गया है। नवजीवन के नवपथ पर साथ चलने और साथ बने रहने में इन नए वचनों की भूमिका अहम् हो सकती है।
बदलते वक़्त के साथ रिश्तों की ज़रूरतें, गहराई, नैतिक मूल्य और नज़रिये में भी बदलाव आ रहा है। नए ज़माने में ज़रूरी ये नए वचन भी लें।
1 स्पेस देने का वादा
झगडे कभी नहीं सुलझते, उनमे से एक है स्पेस की प्रॉब्लम। मन की शादी के बाद पति-पत्नी का एक-दुसरे के वक़्त पर पूरा अधिकार है और दोनों को एक-दुसरे की ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। लेकिन दोनों को ही यह नहीं भूलना चाहिए की हमेशा साथ रहने के वादे के बावजूद दोनों का अलग-अलग अस्तित्व भी है। अपने शौक और अपनी मित्रमंडली भी है, जो मानसिक सुकून के लिए ज़रूरी है। इस बात को समझते हुए एक=दुसरे से वडा करना चाहिए की वे परस्पर पर्सनल स्पेस की ज़रुरत को समझेंगे और सम्मानपूर्वक 'मी टाइम' ज़रूर देंगे।
2 सपने साकार करने का वादा
पति और पत्नी दोनों के कुछ सपने होते हैं। दोनों के कुछ अलग लक्ष्य हो सकते हैं और करियर में ऊंचाइयां हासिल करने की हसरतें भी। कई बार पढ़ाई पूरी होने से पहले ही शादी हो जाती है। कई बार पति या पत्नी को जॉब में प्रमोशन के चांस के कारण दूर भी रहना पड़ता है। इन सब बातों को ना समझने या किस एक के जिद या अहंकार से एक दुसरे का अहित हो सकता है, मन टूट सकता है या सपना अधूरा रह सकता है। इसलिए मंडप के नीचे ये वादा लेना भी ज़रूरी है की एक-दुसरे के करियर , लक्ष्य व सपनों में अड़चन नहीं बनेंगे बल्कि पूरा सहयोग देंगे।
3 बात सुनने का वादा
किसी भी रिश्ते में परस्पर संवाद बेहद ज़रूरी होता है। संवाद में अपनी बात बोलने से ज़्यादा महत्व पार्टनर की बात सुनने और समझने का है। दोतरफा संवाद के कई फायदे है। पहला यह की एक-दुसरे के व्यक्तित्व के प्रति समझ बढ़ती है। दूसरा यह की बातों को तवज़्ज़ो देते हैं और उसकी बातें गौर से सुनते हैं तो उसे अपना सम्मान महसूस होता है। नतीजन आपस में प्यार भी बढ़ता है। इसलिए वादा करें की दोनों एक-दुसरे की बातें सुनेंगे।
4 अपने विचार ना थोपने का वादा
सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं पारिवारिक और व्यक्तिगत मामलों में भी पति-पत्नी के विचार अलग-अलग हो सकते हैं। दो परवारों की सोंच, रहें के तरीके, रीति-रिवाज आदि अलग हो सकते हैं। ऐसे में दो भिन्न पृष्ठभूमि के पार्टनर जब विवाह के बाद एक छत के नीचे रहने लगते हैं तो उनमे मतभिन्नता हो सकती है। इस मतभिन्नता का दोनों को सम्मान करना चाहिए। सहज भाव से जहाँ तक समायोजन संभव है, कर लें। असहज महसूस करें तो कभी भी दुसरे पक्ष को अपनी बात, विचार या रीति-रिवाज मानने के लिए बाध्य ना करें। यह वादा आपको विवाह के समय आवश्य करना चाहिए।
5 विश्वास ना तोड़ने का वादा
विवाह की डोर परस्पर विश्वास से ही बंधा है। इस रिश्ते के ईमानदार, सही और लम्बे समय तक निबाह के लिए पति और पत्नी दोनों को इस बात का वादा करना चाहिए की वे एक-दुसरे के साथ किस प्रकार की बेवफाई, विवाहेतर सम्बन्ध या विश्वासघात नहीं करेंगे। विश्वास बहुत नाज़ुक होता है जो एक बार टूट जाए तो दुबारा स्थापित होना बेहद मुश्किल है। इसलिए धायण रखें।
6 मिलकर झूझने का वादा
जिंदगी समस्याओं का पुलिंदा है। विवाह के बाद भी आपके सामने तरह तरह की आर्थिक, सामाजिक व शारीरिक समायें आ सकती हैं। समस्या, रोग, दुर्घटना आदि का सामना किसी को भी करना पद सकता है। पति या पत्नी दोनों में से कोई भी किसी प्रकार की मुश्किल में हो तो दुसरे को उस वक़्त उसकी कमियां गिनाने या दूसरों के सामने बुराई करने के बजाय उसका हर तरह से साथ देकर, उसका मनोबल बढ़ाकर ुसिबत से उबारने में मदद करनी चाहिए।
7 रिश्तेदारों के सम्मान का वादा
पति और पत्नी विवाह के बाद शुरूआती दिनों में एक अलग दुनियां में होते हैं प्यार, मोहब्बत और ोमान्स की दुनियां में। ऐसे में उन्हें एक-दुसरे का साथ अच्छा लगता है। लेकिन इन सबके बीच उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए
3 Comments
dandalakhnavi
ReplyDeleteपारिवारिक जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण पूर्ण संंदेश है। इस संदेश के लिए हार्दिक बधाई।
Deleteबहुत धन्यवाद, आते रहिएगा कहानी ग्राम में :)
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