असल रोमांच मंजिल पर पहुँचने से ज़्यादा मुसाफिरी में है, खानाबदोशी में है। मज़ा expected में नहीं, मज़ा surprise में है। क्यूंकि हम दुनिया को खुद से रूबरू होने का मौका देते हैं। साथ ही अपनी संभावनाओं की चादर को पूरा खोलकर फैला लेते हैं।
यह रात को एक सितारे से दूसरे सितारे तक लकीरें खींचने की तरह है, लेकिन हमे कभी अपनी लकीर से बाहर के धुंधले सितारों को नज़रअंदाज़ नही करना चाहिए, क्यूंकि वे संभावनाओं से भरे होते हैं।
कई बार अपनी planning को एक बस्ते में दाल कर छोड़ देना अच्छा है। हर सुबह जिंदगी से बिलकुल वैसे ही मिले जैसे एक चिड़िया मिलती है, बिना किसी saving या planning के।
तो चलें, ज़िन्दगी की पगडंडियों पे, दिल और दिमाग के बीच एक पुल बनाते हुए, एक गुंजाइश बनकर।
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