जब उन लोगों को महामारी ने घेरा, तब तन्हाई से मुलाकात हुई और कई सारी बातें भी हुई उससे। कुछ के लिए यह अनुभव डरावना था, चिंतित करने वाला था, dipression में ले जाने वाला भी था कुछ के लिए ज़िन्दगी पर भरपूर नार डालने का मौका हुआ।
मुश्किल समय आता है तो सहारे भी उभरकर सतह पर आ जाते हैं। पर हमारी नज़र उस मुश्किल के भंवर में होती है। सहारे बहुत बाद में दिखते हैं। इसलिए जब ऐसे हालातों से सामना हो तब 'पॉज' लें, मौन हो जाएं, यहां भीतर को मौन करने शांत करने की बात कही है। फिर अपने आजु-बाजू नज़र डालें। अचानक आपदा आ जाये और तैयारियां मुक्कमल ना भी हों, तो भी। कोई भी आपदा ठिकाने बनाकर नहीं रहने वाली। इस दुनियां को चलाये रखने में हौसलों का ही योगदान है।
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