जो खरा है, एकदम खालिस, उसका तेज साफ़ झलकता है।
चमकने के लिए उसे कुछ विशेष नहीं करना पड़ता।
विरासत, स्नेह की, आपसी समझ की, रिश्तों के गरमाहट की, सभी के सपनों की, स्वास्थ और सेहत की हो तो घर के सभी सदस्य खुश- खुशहाल रहें। पर अक्सर वसीयत में मकान-दुकान, ज़मीन-जायदाद, जेवर आदि की बातें होती हैं। सपने संजोने का साहस, मेहनत करने का कौशल, टूट जाने पर धैर्य, सपने को सच करने की प्रेरणा, और सबसे ज़्यादा ज़रूरी- जिंदगी में आगे बढ़ने की खुली छूट, आज़ादी। यही खजाना है, यही देना है बच्चों को।
पारिवारिक या सामाजिक बंधनों में बांधने से बच्चे के पंख भारी हो जाते हैं, और बार-बार उसे इन्ही ज़ंजीरों में जकड़ने से उसके पंख घायल जाते हैं। फिर वो अधूरे सपनों से जिंदगी बस काट सकता है, जी नहीं सकता।
माँ-पिता जी अगर अपने बच्चों को सितारे की तरह आसमान में चमकते हुए देखना चाहते हैं तो उसे ज़मीन छोड़ने की इजाज़त दीजिये। दूद पिलाने और जीवन जीने की कला सिखाने के बाद तीसरा स्थान है बच्चे को उसके हिस्से की आज़ादी देना, जिस से वह वो कर दिखाए जिसका उसने बचपन से सपना देखा है, जो वह करने के लायक है।
0 Comments