नींद


नींद हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है। कोई बड़ा योगी ही इसके बिना रह सकता है। हम-आप के लिए नींद किसी वरदान से काम नहीं। ऐसा कैसे ? आइये जानें ... वे लोग जो मनन चिंतन करते हैं, वे नींद को भी जीते हैं। वे नींद को दिनभर में किये जाने वाले कामों के साथ जोड़ लेते हैं। वे नींद में ढूंढते हैं। 

नींद का एक बेहद अहम हिस्सा होते हैं सपने। सपने चित्रों की एक श्रृंखला होते हैं। यहां शब्द नहीं होते। हमरा शरीर और हमारी बुद्धि नींद में ज्यादा हरकत नहीं करते। 

इन चित्रों की पूरी दुनिया में एक ही भाषा होती है। और इनके मतलब भी हर देश में, हर प्रांत में एक-से लगाए जाते हैं। इसका मतलब यही हुआ ना की हमारे भीतर सब एक हैं। 


नींद एक औषधि भी है। कहते भी हैं ना की जब कुछ समझ ना आ रहा हो, मन बहुत परेशान हो तब नींद ले लेने से आराम आता है।  नींद से हमारे शरीर की रचनात्मक शक्तियां जागी रहती हैं। 

योगियों ने नींद का अलग तरह से उपयोग किया है। वे नींद में शरीर छोड़ कर कहीं घूमने चले जाते हैं। यह तब हो पता है जब वे नींद को साधना से जोड़ लेते हैं। 


रात को बेहोशी की हालत में बिस्तर पर पड़े रहने की बजाय अगर हम नींद का वैसा ही उपयोग करें जैसा हम दिन का करते हैं  तो हम आधी उम्र क बजाय पूरी उम्र जीने लगेंगे। 


इसलिए रात को सोने से पहले थोड़ा समय अपने आप को दीजिये। खासतौर पे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी आदि को अलग क्र दीजिये। फर कुछ समय दिनभर जो हुआ उसपर मंथन। अब यह सोंचिये की आप नींद में क्या जानना चाहते हैं। कहां घूमने जाना है। क्या खोजना है। इसी के लिए मन में वातावरण बनायें। फिर अपने उन प्रश्नों में खो जाएं। मन में ठानिये की आपको उन प्रश्नों का जवाब ज़रूर मिलेगा और सुबह याद भी रहेगा। बस इसी वातावरण में खो जाएं। सुबह

अलार्म की घंटी सुन हड़बड़ी में न उठें। सहेज भाव से आंखे खोलें। दो -चार दिन में आदत हो जाएगी। सपने हमारी भीतरी जीवन से जुड़े होते हैं। इसके माधय्म से हम खुद को कहीं से भी जोड़ सकते हैं।


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