ज़िन्दगी ... नए रास्तों पर मुड़ती रहती है। लेकिन जो एक कदम ज्यादा चलते हैं, वे कई नयी मुस्कुराहटों से मिलते हैं। वे उन मोड़ों से भी झाँक लेते हैं जहाँ पुराना समय नयी हरकत में है। यूं नज़र भी चहक उठती है और नज़ारा भी महकने लगता है। बादल जब सूरज को भी ढक लेते हैं, तब इनके बीच से वह लोग रौशनी छांट लेते हैं, जो एक नज़र ज़्यादा देखने में दिलचस्पी रखते हैं। आखिर आवारगी पे सिर्फ बादलों का ही हक़ थोड़ी है! कुछ ही तो धुप के टुकड़े ज़्यादा मांगता है मन का आँगन, खिल जाने के लिए, और ज़्यादा जगमगाने के लिए।
जिन्दगियाँ यूं भी खूबसूरत हैं, और कहीं आपको ऐसा ना लगे तो जरा कोशिश कीजिये और ढूंढिए की ये आखिर कैसे खूबसूरत हैं। देखना, आपके जहन को खूबसूरती के बहाने भी मिल जायेंगे।
पर हाँ, मन की आँखों से देखना होगा।
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