मेरे रिश्तों के क्या हाल हैं ?

रिश्तों की नब्ज़ पहचानें 

how to cure toxic relationship


इन दिनों, हमारा, जैसा रिश्ता सबके साथ होना चाहिए, वैसा है नहीं। पति के साथ, पत्नी के साथ, बच्चों या घर के बड़ों के साथ या फिर हमारे ऑफिस में, या खुद के साथ ही, क्या हम वैसे व्यवहार में हैं जैसे होने चाहिए? या कुछ बदलने की दरकार है? अगर है तो किसे बदलना है? क्या बात है जो चीज़ें ठीक नहीं हैं? क्या ठीक किया जाए तो रिश्ता ठीक हो जाए?

आखिर क्या हो जाता है की रिश्ते वैसे नहीं रहते जैसे हमे चाहिए? कहीं कोई छोटी सी ही बात होती है, कहीं कोई  अहम आड़े आ जाता है। तो कहीं हम ही सब छोड़-छाड़ के चल देते हैं। कहीं रिश्ते निभाते हुए हम ही थक गए थे। 

हमे लगता है की हम बोलते कुछ हैं वे समझते कुछ हैं। और उन्हें भी ऐसा ही लगता है। फिर हम सोंचते हैं की हम एक दुसरे को नहीं समझ सकते। ऐसे में छोटी और आसान चीज़ें भी मुश्किल लगने लगती हैं। 

हमे चाहिए वो जो हमारे जैसा हो। वो भी ऐसा ही सोंचते हैं की हम उन जैसे हो जाएं तो समस्या ही खत्म। दिक्कत बस इतनी सी है की ऐसा हो ही तो नहीं पाता। संभव तो है रिश्तों को बनाना पर आसान नहीं। कई बार इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है स्वीकार करके। जो कुछ कीमत चुका के रिश्ता सम्भल जाए तो सौदा सस्ता है। 

किसी भी रिश्ते को यूं ही ना छोड़िये।  

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1 Comments

  1. Amazing sharing! This is truly one of the most significant matters for society to reflect upon, inspiring thoughtful discussions and positive actions for a better future. Let's engage, think, and contribute towards meaningful change.

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