क्या आप खुद का पता जानते हैं ?

कहां हैं आप? कहां होना चाहते हैं?

Ways To Make Your Life Better



मज़ाक नहीं, वाक़ई यह प्रश्न है मेरा। थोड़ा विस्तार से पूछती हूं। मैं उस पते की बात नहीं कर रही जहां आपका शरीर अपने तमाम साजो-सामान के साथ रहता है। मैं उस पते की बात कर रही हूं जहां पहुंचने के लिए आपके भीतर का मन हमेशा रास्ते तलाशता रहता है। कई लोग इसे मकसद भी कहते हैं। 

ये प्रक्रिया किसी के जीवन में जल्दी में शुरू होती है किसी की देर से। कई ऐसे भी है जिनके लिए सिर्फ एक ही पता है - मकान नंबर, गली और शहर जिसे बड़े रौब से संगमरमर पर खुदवा कर अपने घर के गेट पर टांग देते हैं। 

तो जब बात खुद की शख्सियत को आकार देने की है, हमारे व्यक्तित्व को दिशा देने की है, तो क्यों ना पूरी ऊर्जा से ये काम किया जाए?

हम जब भी कुछ करते हैं वह हमारी सोंच को आकार देता है। चाहे हम ध्यान दें, या ना दें। फिर क्यों ना हम अपने विचारों, मुंह से निकलने वाले शब्दों को हल्के में लेना छोड़ दें?

दुसरे हमे देख रहे हैं इसलिए हमें बेहतर नहीं बनना। बेहतरी हमें खुशनुमा महसूस कराएगी, इसलिए इसके मायने हैं। 

तो जो इस दुनियां में हम अपने सृजन के मकसद को लिए जी रहे हैं, वे रोज़-ब-रोज़ ऊर्जा, जिंदादिली, नेकी से भरे रहें। पलों में मुस्कराहट की गुंजाईश अपने आप बनने लगेगी।      
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