कुछ करने की जिद
जिंदगी दिलचस्प बनाती है
कुछ पाने की पहली शर्त है कुछ खो देने को तैयार रहना। अब, सब कुछ प्रभु ने आपको ही थोड़ी दे देना है, फिर बाकियों को क्या देंगे?
अभी जो कुछ खूबसूरत हमारे पास है, हमारे दिल के बेहद करीब, ये सब कभी भी खो सकता है, कभी भी! अच्छी नौकरी, करीबी रिश्ता, प्यार, दोस्त, बगीचे वाला घर, कुछ भी। ऐसा सोंच कर भी दिल बैठ जाता है। पर यह सोंच एक तरह से हमे दुःख के लिए तैयार करती है।
इस बड़ी सी दुनियां में जीने के लिए हमारे पास दो विकल्प होते हैं। पहला यह की इस दुनियां को जिस तरह चलता देख रहे हैं उसी में पीछे लग जाएं, चलते चलें जहां लोग लिए चल रहे हैं खुद को। और ये कतई बुरा या ग़लत नहीं है। अधिकांश ऐसे ही चल रहे हैं और सबसे अच्छी बात है की उन्हें इस बात से कोई दिक्कत भी नहीं। इस तरह जीया जा सकता है। पर कुछ चुनिंदा होते हैं ऐसे जिन्हे ये रास्ता नहीं जमता।
तो फिर यारों इन लोगों को अपनी राह खुद बनानी पड़ती है और यही है दूसरा विकल्प। हम अपनी दुनियां खुद बना लें। ये कौतुहल इस काम को सबसे दिलचस्प बनाती है। दूसरों के लिए करना हो तो भले ही हम उसमे थोड़ी लापरवाही बरत सकते हैं पर जो खुद के लिए करना है तो फिर प्रयास ज़बरदस्त होना चाहिए।
मौके हमेशा आते रहते हैं, फिर वही दो विकल्प हैं, या डर कर छोड़ दें या उसको भून डालें उसका पूरा फायदा उठाकर। कुछ भी करने के लिए ज़िद्दी होना बहुत अहम नियम है। अगला नियम है दुखों को भूलना। उसे कम करने के तरीके करें। किसी के साथ हंसने में शरीक होकर भी ऐसा करने से मदद मिलेगी।
हो सकता है कोई दूसरा या अपना भी आपको किसी सीमा में बांधने की कोशिश करे, ऐसा हरगिज़ ना होने दें। अपने हुनर की रक्षा करें।
चुनौतियाँ तो जिंदगी का एक नाम है। अगर समझ गए तो सुलझा लेंगे वरना व्यक्ति इसी में उलझ जाता है। हमेशा सुलझा ही लेंगे, जिंदगी ऐसा हसीन सपना भी नहीं। अब सफर है तो हर तरह के रस्ते मिलेंगे। मुझे ऐसी पगडंडियों पर चलना पसंद है जो हर कुछ देर में कुछ नया दिखाती है, राहें इन्ही दिलचस्प नज़रों से गुलज़ार रहते हैं।
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