मदद का इत्मीनान भी बहुत कुछ कर जाता है
पर्व त्यौहार के लिए खरीदारी करने बाजार जाते समय अगर हम कारीगरों और विक्रेताओं का भी ख़याल कर लेंगे तो उनके घर भी उत्सव की मुस्कान बनी रहेगी। जैसे दिवाली पर कुम्हार चाक से माटी को दीये बना, हमे रौशनी का आधार देते हैं वैसे हम भी उनकी मेहनत को मान देकर उन्हें उजाले की शुभकामनाएं दें, बिना मोल-भाव किये।
ज़रुरत पड़ने पर मदद का भरोसा भी एक प्रकार की संपदा है। भले रूपये-पैसे थोड़ा कम रहें पर अगर व्यक्ति के पास सहयोग मिल जाने का यकीन है तो वह ज़्यादा आत्मविश्वास से भरा महसूस करता है।
हम सब भी आजतक जो कुछ कर पाए हैं उस में दूसरों की मदद का अपना -अपना हिस्सा है। अकेले के बलबूते कुछ भी हासिल नहीं हो सकता। हमारे माता-पिता से लेकर, गुरु, दोस्त ... मददगारों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। हम भी इस कड़ी का एक मज़बूत और भरोसेमंद हिस्सा बनेंगे तो बेहतर महसूस करेंगे। मदद करने की भूख आपको भूखा नहीं रहने देती।
कमजोर को जब मदद का भरोसा मात्र भी मिल जाता है तब वह उस तसल्ली की बदौलत अपने रुके हुए काम पूरे कर लेता है। इसलिए कई बार मदद नहीं, मदद का इत्मीनान भर काफी होता है। ये एक ऐसा कुशन है जो व्यक्ति को हिम्मत करने का हौसला देता है, उसे करने के लिए प्रेरित करता है यह भरोसा दिलाते हुए की अगर वह गिरा तो यह कुशन बनकर उसे चोटिल नहीं होने देगा।
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