दिल और भावनाओं को तवज्जो देना कमजोरी की निशानी नहीं
क्यूंकि मैं मुखर हूं और जल्दी ही भावुक हो जाती हूं क्या इसलिए मुझे कमजोर मान लोगे? पर क्या इन्ही खूबियों को व्यक्तित्व में उतारने के लिए वर्कशॉप्स (कार्यशालाएं) आयोजित नही की जाती?
तुम कमजोर हो - इसे वहम साबित कर दो
भाव, जिसे कमजोरी मान लिया गया, इस कदर, की आज ये बमुश्किल ही किसी के भीतर नज़र आता है। अपने मन की बात को सरल और साफ़ शब्दों में समझा पाने का गुण, आज की ज़रुरत है। खिलखिलाते चेहरे सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर्स की पहचान हैं पर मन की उदासी आँखों से झाँक लेती है। इसलिए मन से जीवंत होने की दरकार हम सभी को है। इन गुणों को भावनात्मक शक्ति के रूप में देखा गया है। और ये शक्तियां आज के जमाने की बेहद ज़रूरी ज़रूरतें हैं जो खुद को किसी भी तरह के वातावरण में संभाल लेने में मदद करती हैं।
प्रभु ने इन तमाम गुणों का तोहफा महिलाओं को पहले दिया है। पर कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने जन्म से मिली इन खूबियों को और मांझ कर इस दुनियां की भाषा में मज़बूत या कहें आत्मविश्वासी नहीं हो पाती। कोई जब कमजोर कहें तो मानें ही क्यों? वे ऐसा इसलिए नहीं कहते की क्यूंकि हम कमजोर हैं, वे ऐसा इसलिए कहते हैं क्यूंकि वे हमे कमजोर करना चाहते हैं।
तो क्यों किसी को अपनी हिम्मत तोड़ने की इजाज़त दें?
यह सब तब सम्भव हो पाएगा जब हम अपनी ज़िन्दगी की बागडोर अपने हाथों में ले लेंगे। अपने फैसले लेने के लिए चाहे आप किसी की सलाह ज़रूर लें पर अंतिम निर्णय आपका ही होना चाहिए। स्नेहवश आप ये अवसर किसी बेहद करीबी और विश्वासी को दे दें हक़ कभी ना दें। कोई यह तय नहीं कर सकता की आप क्या कर सकती हैं - क्या नहीं
आप स्वार्थी हैं -ऐसा बिलकुल नहीं
हो सकता है कई बार किसी क्षेत्र में आप पारम्परिक तरीके से नहीं चलना चाह रही। आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए नए रास्ते बना रही हैं, जिसमे आपका हित है, तो ज़्यादातर समाज और यहाँ तक की आपके अपने और करीबी इसे स्वार्थी/ अतिमहत्वकांशी होना कहेंगे। आपको ताने मार-मार कर आप पर दबाव बनाएंगे। आपके उत्साह को बुझा देने की पूरी कोशिश करेंगे। भले ही हम विकासयात्रा पे आगे निकलें हैं पर समाज, खास तौर पर पुरुष वर्ग महिलाओं के लिए हाथ खींचे बैठा है। स्वतंत्र महिला उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं। पर आप भी ठान लें की आपको उनकी उलाहना की ज़मीन पर अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ने हैं। सो पूरे आत्मविश्वास से लबरेज होकर अपनी बनाई गई राह पर चलें। मुश्किलों का आना तो तय है, पर वे आपके सपनों से बड़ी नहीं।
अगर ऐसा लगता है की दिशा सही नहीं है तो बदल लीजिये
सिर्फ इसलिए किसी काम को मत करते जाइये की बीच में ही छोड़ दिया तो लोग क्या कहेंगे। अगर आपको साफ़ दिख रहा है की आपके कदम सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे तो, फिर बेहिचक चुनाव करिये एक नयी दिशा का।लोग अगर पलायनवादी कहें तो बेपरवाह हो जाएं। और गुनगुनाएं कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना .....। हर चीज़, हर लक्ष्य, हर काम, हर व्यक्ति या जुड़ाव या जिम्मेदारी ज़रूरी नहीं की हमेशा कामयाबी की राह पर ही हमे लिए चलें। जान गई हैं तो अपना समय और मेहनत जाया होने से बचा लें। और फिर घबराये नहीं, इत्मीनान रखें। नयी राह तुरंत नहीं मिलेगी, पर मिलेगी ज़रूर।
हम टूटने से नहीं बच सकते
कई बार लोग, जगह, परिस्थिति हमारे हिसाब से नहीं होगी। धोखा होजाता है, दिल टूट जाता है, उदासीनता घेर लेती है, रोना आता है, मत बांधिए इन आंसुओं को, बहने दीजिये। शर्त इतनी है की फिर से वही बेवकूफी ना होगी, उस व्यक्ति को फिर दिल दुखने की इजाज़त नहीं देंगे, इन सबका ध्यान रखेंगे।
खुद को अपेक्षाओं से बोझिल करने की भूल ना करें
खुद को साबित करने या दूसरों को गलत साबित करने का दबाव कभी खुद पर हावी ना होने दें। ये दीमक जैसा है, खामखा हमे खाता रहता। हम किसी की नज़रों में खुद का कोई ख़ास मुकाम बनाने नहीं आयी हैं। खुद को खुश रहने, बेबाक रहने, नया सीखने, और आराम करने की पूरी आज़ादी दें। जब सुकून रहेगा तब लक्ष्य भी हासिल होंगे, संतुष्टि भी आएगी, ख़ुशी का माहौल बनेगा जिससे सेहत खुशहाल रहेगी , जिंदगी बेहतर होगी।
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