क्यों बदलें खुद को?

बदलना ज़रूरी है क्या?

reasons why change is important


क्यूंकि हम अगर नहीं भी चाहें तो भी बदलाव तो आएंगे ही। पर ये ज़रूरी नहीं की तब वो हमारे लिए ही हों, हमारे हित में ही हों। ढर्रे पर लुढ़कते रहने से अनिच्छा, अवसाद, अरूचि, छवि के बिगड़ने या गुम हो जाने का संदेह, पिछड़ जाने का डर और अजीब से मन के रोग जैसे परिवर्तन आने लगते हैं। और ऐसे बदलाव तो किसी को गवारा नहीं होंगे। 

इसलिए अपने आप हो जाने वाले बदलावों से पहले खुद ही बदल दें वो सब जिसे बदलने की ज़रुरत महसूस करते हैं। खुद को कम्फर्ट जोन से बहार निकाल देने में ही भलाई है। और बाहर निकल कर क्या करें? उस ज़िन्दगी को बनाना शुरू करें जिसके सपने बचपन से देखते आए हैं। खुद से किया जा सके, ये एक ऐसा ज़रूरी वादा है। जिस सुकून को तलाश रहे हैं उसका रास्ता कम्फर्ट जोन के बाहर से होकर जाता है। 

मन तो हम सभी का यही होता है की हम खुश हों। तो जिंदगी की गाडी को मज़े से चलाने के लिए जिन कलपुर्जों की ज़रुरत आपको लगती है, चलिए उन्हें दुरुस्त करते हैं। शुरुआत होगी पहल करने से। खुद को बेहतरी की तरफ ले जाने वाले इरादे से। 

ये पहल कभी भी, कहीं से भी की जा सकती है। इसके लिए नए साल या नया महीना या हफ्ते का कोई विशेष दिन चुनने और उसके इंतज़ार करने की औपचारिकता की ज़रुरत नहीं है। ये अहसास ही काफी है की फलां तरह का ढर्रा बदल देना है। 

छोटी छोटी शुरुआत बड़े बदलाव का रास्ता बनाती है - ये हम जानते ही हैं। "चलता है" - वाला सूत्र, अब कूड़ेदान में डालने से बदलाव की शुरआत करें। ये अगर कर सके तो नतीजे निश्चित ही शानदार मिलेंगे।  

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