क्या मेहमानों का आना कई बार खीज पैदा कर देता है?
हे भगवान! ये फिर आ गए! अभी पिछले हफ्ते तो मिल के गए थे।
बोल दो - मना कर दो - कह दो - मैं घर पर नहीं हूं।
इस बार इन्हे ग्रीन टी ही पिला के भेजेंगे।
मेहमान यानी भगवान। यही तो हमे सिखाया गया है। उनका तो स्वागत होना चाहिए। पर कई बार ऐसे मेहमान भी अचानक दस्तक दे देते हैं जिनके आते ही हमारे हाव-भाव बदल जाते हैं। हम थोड़े असहज, थोड़े नाखुश, थोड़े खीज जाते हैं। अब ये हमारे हाव-भाव में भी झलक जाता है।
इस रविवार आपने मुद्दतों बाद, बड़े मन से अपने परिवार को घुमाने का तय किया है। और शनिवार अचानक मेहमान आगये। अब ऐसी असमंजस की स्तिथि में क्या करें समझ नहीं आता। बड़े ही अजीब हालात हैं ये। क्या किया जाए की ना तो मेहमान बुरा मानें ना ही घरवाले, और ना ही छुट्टी का दिन बेकार हो जाए।
हैं कुछ ऐसे तरीके जिन से बात बन जाएगी और सब का मन और मान भी रख पाएंगे आप। आइये जानते हैं:-
सबसे पहले तो उन्हें देखते ही मुंह ना फुलाएं। चेहरे पर अच्छे भाव के साथ दरवाजा खोलें। उन्हें लगे की अपने उनका आना स्वीकार किया। छोटी ही सही बातें बातें ज़रूर करें। उनके और उनके परिवार के बारे में पूछें। छोटा नाश्ता जैसे अमूमन चाय या कॉफ़ी के साथ हल्का मीठा या नमकीन ज़रूर परोसें। आपने हाथों से आग्रह भी करें। उन्हें अच्छा महसूस कराएं। फिर उन्हें प्यार से बताएं की आप उन्हें अभी समय नहीं दे पाएंगे क्यूंकि आपका कहीं का प्लान पहले बन चूका है पर शाम का भोजन साथ ही करेंगे। या अगले दिन ज़रूर कहीं बाहर घूमने चलेंगे।
जब वे जाने लगें तो उन्हें कहें की उनका आपके लिए समय निकालना आपके लिए मायने रखता है। उन्हें मुस्कुराहट के साथ हो सके तो एक तोहफा भी साथ दें। उन्हें ये व्यवहार बहुत अच्छा महसूस कराएगा। फिर आने का न्योता ज़रूर दें।
कुछ मेहमान ऐसे भी होते हैं जो अपने माँ-पिता जी के बचपन के यार होते हैं। वे कभी भी और किसी भी समय घर आना अपना हक़ मानते हैं। उनसे चिढ़ें नहीं। घर पे खाना खाने को वे अपना अधिकार मानते हैं। ऐसा इसलिए क्यूंकि बचपन में यार दोस्त एक दुसरे के घर जब खेलने या मिलने जाते थे तब भोजन के समय वही खाना खा लेते थे। आज समय बदला है पर उनका मन तो तब का ही है ना। इसलिए अपने माँ-पिता जी और उनके यारों को उनका याराना खुशनुमा मन से जीने दें।
अब उन मेहमानों की बारी जो "मुफ्त का चन्दन घिस मेरे नंदन" के मन से आते हैं। उनका भी स्वागत है। पर ज़रा सा हटके! उन्हें प्यार से बताएं की घर के पास बड़ा अच्छा होटल है जिसका खाने की भी तारीफ सुनी है - आपको वहां कोई दिक्कत नहीं आएगी। अगर आप उन्हें बाहर खाने के लिए मनाने में सफल नहीं हो पाए तो कोई बात नहीं, खाना घर पर बना लें और 'मेहमानों' को काम बांट दें।
0 Comments