क्या इसे बदला जा सकता है? हाँ !
हमेशा मेरे साथ ही बुरा होता है। हर बार मुझे ही नुकसान होता है। मेरे साथ कभी कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। कुछ लोग अक्सर करके ऐसा विश्वास बना लेते हैं अपनी जिंदगी के लिए। अगर कोई मौका भी मिलता है तो पहले ही सोच लेते हैं, होना जाना तो कुछ है नहीं। तो, कोशिश करने का भी क्या फायदा?
इस तरह की बातें अक्सर दीन, दुखी, पीड़ित बने रहने वाले मन को बहुत भाती है।और ये सारा विचारों का खेल है। जबकि दिमाग से पूछा जाए तो वह बता देगा कि हाँ भाई काम बिल्कुल हो सकता है। नहीं होने जैसी कोई बात है ही नहीं। पर मनहूसियत पसंद करने वाली इच्छाएं, इसे हकीकत में तब्दील होने देती ही नहीं।
अजी, सारा दारोमदार सोच पर है। आप कहीं की सफाई करे ना करे पर सोच की नियमित रूप से सफाई होना बहुत जरूरी है। कभी-कभी नकारात्मकता या संशय की धूल इस पर भी आकर जमती है।और हमें इसे ही साफ करते रहना है। क्योंकि आपकी कोई खूबसूरत सच्चाई, आप ही की किसी मनहूस विचार या ध्वनि की भेंट चढ़ जाए तो यह बहुत महंगा सौदा होगा।
अब केवल पढ़ लेने भर से इस पर यकीन करने की जरूरत नहीं। आप इसे आजमाइए। क्या करना है? मन का ख्याल रखना है। किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से उसे बचाना है, बस सकारात्मक नतीजे आपके इंतजार में हैं। बीती बातें हमारे सच्चाई की प्रमाण नहीं है, वह केवल अनुभव है। और उन तमाम नहीं अच्छी लगने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेदार भी हम ही है।
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