नेतरहाट की अनछुई वादियां: जहाँ प्रकृति करती है मन मोह लेने वाली बातें

नेतरहाट के झरने, घाटियाँ और कहानियाँ प्यार की! 



नेतरहाट - क़्वीन ऑफ़ छोटानागपुर। झारखंड का एक सुंदर पहाड़ी इलाका है, जो घने जंगलों, हरे-भरे नज़ारों और बलखाते बहते झरनों के बीच बसा हुआ है। यह जगह उन लोगों के लिए अच्छी पसंद है जिन्हे राजधानी रांची के व्यस्त शहरी जीवन से थोड़ी दूर कुछ पल शांति और सुकून में बिताने का मन है। नेतरहाट तक पहुँचने का सफर भी उतना ही सुंदर है जितना कि यह जगह। घने जंगलों के बीच, पहाड़ियों पर चढ़ाई करते हुए, आप इस छोटे से शहर में पहुंचते हैं। इस यात्रा में आपकी मुलाकात नार्थ और साउथ कोयल नदी से होती है। घाटी पर सदियों से ऊंचे ऊंचे तने पेड़ आपके यात्रा की थकान हर लेते हैं। जगह और यहाँ तक पहुंचने के रास्ते दोनों ही भोले गावों से होकर जाता है। न कोई बड़ी दुकानें आपकी प्रकृतिक नज़रे में कोई अवरोध डालते हैं ना ही कोई इनकी वजह से भीड़ ही है। झारखण्ड पर्यटन के बारे में ज़्यादा ना पता होने की वजह से व्यवसाकरण यहां अभी तक पहुंच नहीं पाया है, जो शायद अच्छा ही है।  

लोगों की सुनें तो नेतरहाट का मुख्य आकर्षण यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त है। प्रभात विहार होटल, जो ठहरने के लिए एक अच्छा विकल्प है, के कुछ कमरों से आप सीधे सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद ले सकते हैं। इस होटल से पहाड़ों के बीच से उगते और डूबते सूरज का नज़ारा वाकई मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। यहाँ का पर्यटन सीजन मुख्यतः नवंबर से फरवरी के बीच होता है, जब पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ जाती है। बताते हैं की उस वक़्त यहां करीब 400 - 500 गाड़ियां रोजाना आती हैं उन लोगों को लेकर जो यहां प्रकृति की गोद में छुट्टियां मानाने आये हैं। 

घाटी के घने और घुमावदार रास्तों पे से होते हुए गरुड़ (हमारी मोटरसाइकिल) ने हमे महज़ 2 घंटों में नेतरहाट के मार्केट पहुंचा दिया। यहां 15 से 20 दुकानें हैं जहां से आपको ज़रुरत के सामान मिल जाएंगे और नाश्ते के लिए भी कुछ ऑप्शंस हैं जो आपको अंडा, मैगी, ब्रेड ऑमलेट जैसी चीज़ें मिल जाएंगी। केला, सेव, पपीता जैसे फल भी उपलब्ध हैं।  

अपर घाघरी फॉल्स: नीचे से रोमांच का पहला डोज


नेतरहाट में हमारी सबसे पहली मंजिल थी Upper Ghaghri Falls। झरने की ऊँचाई बहुत ज़्यादा नहीं है जैसा की इसका नाम है। और यह जगह भी ज़्यादा दूर नहीं है टाउन से। 10 रूपये का टिकट है प्रति व्यक्ति और 15 रूपये की पार्किंग देने के बाद हम प्रवेश कर जाते हैं एक और जंगल में जहां से 5 -7 मिनट चलने पर 7 -8 टूटी हुई सीढ़ियां उतरकर आपको दो छोटे पर वेग् से बहते झरने दिखते हैं। इनके सामने तीन जगहों पर कुंड सा बना हुआ है जहां झरनों से गिरता पानी थोड़ी देर ठहरता है। वहां हमे कुंडों की गहराई ज़्यादा लगी। इसलिए बड़ी ध्यान ध्यान से हम दोनों पैर जमा जमा कर थोड़ा बहुत आगे पीछे कर के झरने को देखा। कुछ एक तस्वीरें भी लीं। पर बहुत फिसलन है जमीन पे, पत्थरों पे। और नीचे बैठने की जगह हमे बिलकुल नहीं दिखी। सो हम जितनी देर रुके खड़े खड़े ही निहारते रहे। कुछ एक लोग डुबकी लगा रहे थे, कूद-फांद रहे थे पर पानी की गहराई का पता नहीं चल पाने की वजह से हम दूर ही रहे जल क्रीड़ा से। 

इस जगह चिप्स और वेफर्स की एक छोटी सी थड़ी है। चाय - कॉफ़ी या गर्मा गर्म मैगी की शौकीनों को मायूस होना पड़ सकता है। 

निचले घाघरी फॉल्स: पानी में छुपा ठहाकों का संसार

अब बारी थी Lower Ghaghri Falls की। जिसका रास्ता वहीं एक से पूछने पर बताया की यही से आगे जाना है। बारिश की वजह से कई रास्ते यहाँ दुर्गम हो जाते हैं या ऐसा कहें की आपको फुल बॉडी मसाज देते हैं ! आगे जाने पे यह रास्ता पलामू टाइगर रिज़र्व में जाकर मिल सा गया। कन्फ्यूज़न की स्तिथि में हम थोड़ा यहां वहां भटकने के बाद वहां जाने का आईडिया छोड़ दिया। वक़्त ख़राब क्यों करना। बता दें की आप यहां गूगल मैप पर ज़्यादा आश्रित नहीं रह सकते। 

पता चला की झरना अपर घाघरी से बड़ा है। जी हाँ - नाम के ठीक उलट। लेकिन वहां पहुंचने का कोई सीधा रास्ता है ही नहीं। ट्रैकिंग करके आप वहां तक जा सकते हैं, उसमे भी आपको सावधान रहना पड़ेगा। मौसम साथ दे तो यहां का वातावरण इतना शांत और मस्त रहता है कि यहां आधा दिन बिताया जा सकता है। ठंडा पानी, हल्की-हल्की बारिश, और दोस्तों की स्लिप होकर गिरने वाली हरकत—इसे देखकर ऐसा लगा मानो नेतरहाट ने हमें हंसी और रोमांच का तोहफा दिया हो। पर अगर बादल अगर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो होगये तो यह जगह आपको भयावह भी महसूस करा सकती है। क्युकी यहां पर्यटक ना के बराबर ही पहुंच पाते हैं। 

कोयल व्यू पॉइंट: कोयल व्यूप्वाइंट: बादलों के आलिंगन में घाटियों का नज़ारा


नाशपाती के बगानों को खोजते हुए जब आप आगे बढ़ेंगे, तो आपको एक मनमोहक manicured गार्डन मिलेगा। इसके बिलकुल बगल से आप कोयल व्यूप्वाइंट तक पहुँच जाते हैं। यहाँ के ऊँचे-ऊँचे चीड़ के पेड़ आपको एक छोटे से जंगल का एहसास दिलाते हैं। नेतरहाट के कोयल व्यूप्वाइंट से जब आप घाटियों की ओर देखते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे धरती और आकाश के बीच कोई रहस्यमयी संवाद चल रहा हो। यहाँ का नज़ारा आपके दिल को मोह लेगा। यहां पहुंचकर हमे बैठने को मिला। हमारी यात्रा का असली आनंद शुरू हुआ। कोयल नदी के घुमावदार बहाव को देखा —बस बहते जाओ और सब सुलझता जाएगा। इस जगह ने हमे यहां हम काफी देर तक बिठाये रखा। 

एक छोटी सी चाय की दुकान है जहां आपको मैगी और वेफर्स मिल जाएंगे।  JTDC द्वारा लगे बेंचेस पर बैठे, नदी को निहारते हुए हमने गरमा-गरम चाय की चुस्कियों का आनंद लिया। 

नाशपाती बागान: पेट और दिल दोनों खुश

अब बताते हैं नाशपाती बागान की कहानी।इसे ढूंढने में हम कई कई बार एक ही रास्ते पे घुमते रहे। डंकन का यह नाशपाती बागान का हरा बोर्ड जब दिखा  रास्ते पे जाने के बाद हरा गेट मिला जिस पर सफ़ेद रंग से लिखा था नो एंट्री। थोड़ी खीज भी हुई। पर फर क्या ही कर सकते हैं। 

पूछने पर पता लगा की ये शायद सिर्फ सीजन में ह खुलता है। बगीचे में करीब हज़ार की तादाद में नाशपाती के वृक्ष लगे हैं जिनसे लगभग 200 ट्रक नाशपाती भरकर बाजारों में जाती है। सरकार को इस से 30 -50 लाख का मुनाफा भी होता है। तो आप जब भी आएं इस में प्रवेश  लेकर आएं।   

नेतरहाट लेक और डैम: ठंडक और शांति 

Netarhat Lake और Netarhat Dam—ये दोनों जगहें आपको किसी फिल्मी सीन जैसी नहीं लगेंगीपर हाँ आपको बोर भी नहीं होने देंगी। यहां की शांति और ठंडक से हमारे दिमाग की सारी थकान दूर हो गई। झील के किनारे बैठकर हमने नाव चलाने का मन तो किया, लेकिन आलस्य के कारण बस वहीँ बैठकर बातें करते रहे। नेतरहाट डैम की विशालता बहुत ज़्यादा नहीं दिखी। हो सकता है प्रचंड बारिश में देखकर लगे जैसे यहां आकर कुदरत भी हमें बड़प्पन का सबक सिखा रही हो!

पाइन जंगल: रोमांच का एहसास

Pine Forest—अरे बाबा! ऐसा लगा जैसे किसी फिल्म का सीन शुरू हो गया हो। लम्बे-लम्बे देवदार के पेड़ और उनके बीच से निकलती ठंडी हवा ने हमें मोह लिया।  जब हम बीच में गए, तो हमें एहसास हुआ कि यहां का माहौल सुकून देने वाला है। सूरज की किरणें पत्तियों के बीच से छनकर आती हैं, जैसे कोई लुका-छिपी का खेल खेल रही हों। हवा की सरसराहट कानों में गुनगुनी गॉसिप की तरह लगती है, मानो ये पेड़ एक-दूसरे से कुछ दिलचस्प बातें कर रहे हों। यहाँ हर जगह आपको फोटो लेने का मन करेगा।  

यहां की शांति ऐसी है कि आप खुद से बातें करने लगेंगे, और पाइन के पेड़ आपकी बातों को हंसी-ठिठोली में शामिल कर लेंगे। जब आप यहां चलते हैं, तो पैरों के नीचे पत्तियों की आवाज़ आती है, जैसे आप कोई म्यूजिकल ट्रैक पर चल रहे हों। और अगर आप ध्यान से सुनें, तो आपको कहीं दूर से कोयल की मीठी आवाज़ सुनाई देगी, जो इस पाइन जंगल के फुल ऑन DJ की तरह माहौल बना देती है। जिन्होंने दक्षिण भारत के pine फारेस्ट घूमें हुए हैं उन्हें यहां सामान्यता दिखने मिलेगी। 

मैगनोलिया सनसेट पॉइंट: जहाँ सूरज रूमानी हो जाता है

इन्ही खूबसूरत रास्तों से होते हुए हम आगए नेतरहाट का Magnolia Sunset Point  पर जब  पहुंचे बादलों ने अपना काम कर दिया था।अब हम बरसती बूंदों से बातें करने लगते हैं। इस जगह की एक कहानी है। यहां एक ब्रिटिश लड़की जिसका नाम मैगनोलिया है वो एक स्थानीय चरवाहे की तरफ आकर्षित हो जाती है।पता चलने पर उस चरवाहे को इस घाटी की गेहरियों में फेक दिया था और इसलिए मैग्नोलिया ने भी अपने घोड़े के साथ इसी घाटी में छलांग लगा दी थी। इन दोनो की याद में इस जगह का नाम रखा हो ऐसा मालूम होता है। 

अगर मौसम साफ हो तो बताते हैं की नेटारहाट का मैग्नोलिया सनसेट पॉइंट वो जगह है जहाँ सूरज मानो आपके साथ खेलता है! जब सूरज ढलता है, ऐसा लगता है जैसे उसने आसमान को रंगों की छड़ी से छुआ हो। एक पल आसमान गुलाबी होता है, फिर नारंगी और आखिर में सुनहरा! 

यहां के नज़ारे इतने दिलचस्प हैं। चारों ओर फैली हरियाली, शांत माहौल और ठंडी हवा आपके शाम तक की थकान को रिलैक्स कर देगी। चाय चरसियों के लिए सनसेट का नज़ारा देखते हुए चाय और गर्म पकोड़ों का मज़ा यहाँ अलग ही है।

मन भरकर खाने के लिए यहां ज़्यादा विकल्प ना होने की वजह से हमने अपना गरुड़ लिया और वापस होटल की तरफ निकल पड़े उस पाइन फारेस्ट से होते हुए। देर शाम अंधेरा घना और कम चहल पहल होने की वजह से थोड़ा मन हिचकता तो है। पर ज़्यादा कुछ और सोंचे इस से पहले रास्ता पार हो गया।  

और इस तरह हमारा पहला दिन बीता क़्वीन ऑफ़ छोटानागपुर - नेतरहाट में। हमने डिनर झूमर होटल में किया था पहाड़ों की गहराती शाम को देखते हुए, अच्छा था , ज़ायका भी, पेड़ों की जमघट भी, और जोड़ीदार भी।   


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