वो लम्हे जो रतन टाटा के दोस्तों ने दुनिया से साझा किए
रतन टाटा सफलता का अब एक ऐसा सितारा बन चुके हैं जिसकी मिसाल लम्बे समय तक दी जाएगी। वे केवल एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष नहीं हैं बल्कि बेहद सहज, सरल और सौम्य व्यक्तित्व के धनी है। तो आइए, मैं आपको कुछ ऐसे दिलचस्प किस्से सुनाती हूँ, जो उनके जैसे ही बड़े उद्योगपतियों ने साझा किए हैं जिन्हे उनके करीब रहकर उनके साथ काम करने का मौका मिला।
निरंजन हीरानंदानी, जो हीरानंदानी ग्रुप के प्रमुख हैं, एक किस्सा साझा करते हैं जो रतन टाटा की सादगी और उनके महान व्यक्तित्व की कोमल झलक देता है। एक बार रतन टाटा उनके घर खाने पर आए थे। इतने बड़े उद्योगपति के आने से घर का माहौल थोड़ा गंभीर सा था, लेकिन जैसे ही रतन टाटा ने घर में कदम रखा, उनकी सहजता और विनम्रता ने हर किसी का मन मोह लिया।
खाने की मेज पर बैठते ही उन्होंने सामान्य सी बातें शुरू कर दीं, जैसे वो किसी पुराने दोस्त के साथ बातें कर रहे हों। निरंजन जी बताते हैं कि उनसे बात करते हुए कभी भी यह महसूस नहीं हुआ कि वे इतने बड़े शख्सियत के सामने बैठे हैं। रतन टाटा की सरलता और आत्मीयता ने माहौल को बिल्कुल हल्का और सहज बना दिया था।
खाने के बाद रतन टाटा ने बहुत विनम्रता से निरंजन हीरानंदानी और उनकी पत्नी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "आपने मुझे यहां खाने के लिए बुलाया, इसके लिए दिल से धन्यवाद। और आपकी पत्नी ने जो खाना बनाया है, वो वाकई लाजवाब था। मैं उनका भी आभारी हूं।" इतना ही नहीं, घर से जाने के बाद भी रतन टाटा ने तीन-चार बार धन्यवाद का संदेश भेजा, खासकर निरंजन जी की पत्नी के लिए।
निरंजन जी कहते हैं कि यह छोटी-सी घटना बहुत गहरी बात सिखाती है। इतने बड़े और सफल व्यक्तित्व होने के बावजूद रतन टाटा ने छोटी-छोटी बातों का कितना ध्यान रखा। यह उनकी महानता और उनके इंसान होने की पहचान है—छोटी बातों में भी दिल छू लेने वाली विनम्रता।
सुधा मूर्ति के साथ एक वाकया नारायणमूर्ति याद करते हैं। हुआ यूं था की एक रात वापसी के वक्त नारायणमूर्ति टैक्सी लेकर सुधा मूर्ति को लेने पहुंचे तो वो देखते है की सुधा मूर्ति के साथ मैं एक बड़ा लम्बा सा इंसान खड़ा है। तो वो पास जाते हैं। टैक्सी साइड में लगती है, फिर देखते है की वो स्वयं जेआरडी थे। शादी से पहले उनका नाम सुधा कुलकर्णी था। तो जेआरडी टाटा ने उनको पूछा की कुलकर्णी तुम क्यों खड़ी हो यहाँ पर? तो उन्होंने बोला की मेरे हस्बैंड लेने आने वाले है। तो जब नारायणमूर्ति पहुंचे तो जेआरडी ने उनसे बोला की देखिए ऐसा है की आपको रात के समय में देर रात को और देर तक एक महिला को अकेले खड़े वेट नहीं कराना चाहिए। आगे से ध्यान रखिएगा कि फ्यूचर में कभी भी आप ये काम ना करे। सुधार मूर्ति के साथ जेआरडी तब तक खड़े रहे जब तक नारायणमूर्ति उनको लेने के लिए पहुँच नहीं रहे थे।कंपनी के मालिक एक इम्प्लॉई के लिए जो कि सुधा मूर्ति उस वक्त टाटा ग्रुप में टेल्को में काम करती थी और वो अपना दिन पूरा करके अपने पति का वेट कर रही थी की वो उनको लेने आने वाले थे पर वो रात हो चुकी थी। थोड़ा देर हो रही थी और ऐसे में अपनी महिला कर्मी की सुरक्षा का ध्यान रखना कंपनी का इतना बड़ा व्यक्ति के लिए कितना परम है, ये हमें टाटा ग्रुप से समझ में आता है।
कुमार मंगलम बिड़ला उनको याद करते हैं कि उनके पिता की उम्र के है रतन टाटा। तो जब उनके पिता का देहांत हुआ था तो वो व्यक्ति (रतन टाटा) भीगा हुआ सा अपने कोट पैन्ट मैं पूरा टाइम उनके पास खड़े रहे और उन्होंने उनको बोला की मैं तुम्हारे साथ हमेशा खड़ा हूँ और मैं जस्ट एक फ़ोन कॉल पर तुम्हारी मदद के लिए हमेशा तैयार रहूंगा।आगे बताते हैं कि इतने सिंपल व्यक्ति है ये की ये एक अपने छोटे से घर में रहते हैं। लग्जरी के नाम पर सिर्फ उन्होंने इतना करा है कि वो उनको शर्ट, पैंट पहनने का शौक है तो वो शर्ट पैंट पहना करते हैं। बाकी उनके पास कोई बड़ा घर नहीं है, कोई उनके पास बड़ी गाड़ी नहीं है और कोई उनके पास बहुत बड़ा स्टाफ नहीं है, जो उनके घर को संभलता हो। दो तीन लोग काम करते हैं और उनके कुत्ते हैं जो उनके साथ रहते हैं, जिनसे वो बहुत प्रेम करते।बड़े सिंपल मिज़ाज के हैं।
एक और वाक्य है। एक बार उनको ज़रा नासिक जाना था और और नासिक जाते वक्त उनकी गाड़ी जो है वो बीच में ही खराब हो गयी थी। कुछ देर बाद लोगों ने देखा की सब लोग इधर उधर अपना कुछ। कोई सिगरेट पी रहे हैं, कोई वॉशरूम गए हैं, कोई फ़ोन पे बात कर रहे हैं। टाटा कहा हैं? तो ध्यान से देखने पर पता पड़ा कि उन्होंने अपने शर्ट की बाजू को पूरा होल्ड करके ऊपर चढ़ा लिया है और टाई को बिल्कुल कंधे पर डाल के पीछे की तरफ और वो मदद कर रहे हैं मैकनिक की टायर का पंक्चर फिक्स करने में। तो उनसे बोला की आप ये काम क्यों कर रहे हैं? ये काम तो मेकेनिक का काम है। तो उन्होंने बोला की अगर ये काम 15 मिनट का है और अगर मेरी मदद करने से ये काम अगर 7.5 मिनट में ही हो जाएगा तो जिस मीटिंग में हमें पहुंचना है अभी वहाँ पे हम उस व्यक्ति का हम 7.5 मिनट बचा पाएंगे।
तो इस तरह की जब सोच होती है आपके दिल और दिमाग में तभी तो भगवान आपके लिए इतनी खूबसूरत रास्ते बनाता है जिसपे आप बड़े शान से चलते हैं वो दुनिया आपको याद करती है और कर ही रही है। कई ऐसे सीख है ऐसे बातें हैं जो हम याद करते हैं ऐसी शाखसियत की जिन्हें हम अपने जीवन में उतार सकते हैं।
यह अनेकों वाक्यों में से एक और वाकया ये भी है कि जब उन्हें लाइफ टाइम लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिल रहा था। प्रिन्स चार्ल्स ने उस वक्त उन्हें सम्मानित करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था। वो एक ऐसी जगह है जहाँ पे दुनियाभर के दिग्गज जाना पसंद करेंगे। आम आदमी की तो कहते हैं बस की बात ही नहीं है तो उनकी शख्सियत की वजह से इनको लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देना था, जिसको जिसे अवॉर्ड से नवाजा ने के लिए इनको आमंत्रित किया गया था। पर रतन सर नहीं जा पाए क्योंकि इनका एक पेट बीमार था और इस बात को जानकर प्रिन्स चार्ल्स बेहद गदगद हुए।
एक बार रतन सर नितिन गडकरी के घर जा रहे थे और रास्ता भटक गए तो उन्होंने गडकरी जी को फ़ोन किया की उन्हें घर नहीं मिल रह है। गडकरी ज ने कहा की आप अपना फ़ोन अपने ड्राइवर को दे दीजिये ताकि वो उन्हें रास्ता समझा दें। रतन सर बोले ड्राइवर नहीं है मेरे साथ मैं खुद ड्राइव कर रहा हूँ। आप रास्ता मुझे ही बताएं।
उन्हें एक वायलिन जैसा कुछ सीखने का मन था। पर वो उन्हने इसलिए नहीं खरीदा था क्यूंकि वह यन्त्र कुछ लाख का आता है और इतना पैसा उन्हें खुद पे खर्च करने की बचपन से आदत नहीं है।
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