पिता जी

 प्यारे पिता जी 

आज आपका जन्मदिन है। आपको 26 अक्टूबर 2024 की अनेकों मंगल कामनाएं। प्रभु माँ और आपको खुशहाल दीर्घायु का आशीर्वाद दें। जिंदगी के 33 सावन देखने के बाद समझ आया है की मैं प्रभु की प्यारी बच्ची हूं इसलिए उन्होंने मुझे आपके पास भेजा ताकि जिंदगी जीना, उसे महसूस करना और उसका भरपूर आनंद लेना सीख पाऊं। 

सुनते आये हैं की पहले गुरु माता-पिता जी होते हैं। बात सही भी है, पर तभी जब माँ- पिता जी के पास गुरु जैसा विवेक हो। क्यूंकि ऐसा किसी-किसी में ही होता है, इसलिए बाकी लोग केवल मानव ही रह जाते हैं। प्रभु अपने चुनिंदा- पसंदीदा लोगों को ही इस अनमोल गुण से नवाज़ते हैं। मैं अपने आराध्य को अनेकों बार धन्यवाद देती हूँ की मेरी जीवनयात्रा के लिए उन्होंने आपका घर चुना। 

आज आपके साथ मैं आपकी कुछ बातें साझा करना चाहती हूँ जो मैंने आपके साथ बिताए वर्षों में सीखी हैं। 

आप कहते हैं,

साथ में खाना कहने से परिवार एकजुट रहता है। समय से सो जाओ और सुबह जल्दी उठ जाओ। अगर आर्थिक तंगी हो तो खुद के खर्चे सीमित कर लो पर किसी को देते वक़्त दिल बड़ा रखो। चाहे किसी ने कैसा भी ख़राब व्यवहार किया हो, उसे उसका ख़राब व्यवहार लौटाओ नहीं। सबका मान रख लो, जो जैसा कहता है कर लो बस। 
किसी भी प्रकार का सहयोग देते वक़्त खुद को अगर अधिक देना पड़ जाए तो कोई बात नहीं। आगंतुक का पूरा ख्याल रखो। भले ही आपका आगंतुक के साथ पिछला अनुभव विपरीत रहा हो। शायद इसलिए अधिकांश लोगों ने अपने घर- अपने संग बिताये हुए समय को हमेशा याद किया है। आपकी इन छोटी-छोटी बातों में कितना गहरा जीवन दर्शन छुपा है, यह मैंने समय के साथ समझा है। 




आपके व्यक्तित्व से सीखने योग्य,

एक ज़माने में आपने बड़े ब्रांड्स भी पहने और अब सादगी में भी मज़े से रहते हैं। आप उतने ही सहज लगते हैं। आपके कपडे, जूते, और दूसरी इस्तेमाल करने वाली चीज़ें एकदम सीमित हैं। आप समय के एकदम पाबंद हैं। बल्कि दिए हुए समय से 20 मिनट पहले तैयार रहते हैं। और यही गुण मुझे दिए हुए डीएनए में भी आया है। आप अव्वल दर्ज़े के ईमानदार  हैं। आपकी नीयत खरा सोना है। इस बात की गवाही हर वो इंसान देगा जो आपसे कभी भी जुड़ा हो। आप आस पास, देश -विदेश, नया पुराना हर प्रकार की जानकारों से अपडेटेड रहनापसंद करते हैं।
 
सोशल मीडिया के ज़माने से कई ज़माने पहले, खूबसूरत लम्हों को कमरे की मदद से संजोने का शौक रहा है। लोग आज होड़ का हिस्सा बनकर अपनी या अपने बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर लाद देते हैं। पर अपने 33  साल पहले ही बिना किसी अंधे होड़ का हिस्सा बने, मेरे बचपन को बड़ी कोमलता से कई एल्बम में सजाया है। जब भी एल्बम वाला बक्सा खुलता है तो उन तस्वीरों के साथ घंटों बीत जाते हैं।
 
सामने वाले के एक आवाज़ पर खड़े होकर उसकी मदद करना आपकी आदत में शामिल है। फिर चाहे उस व्यक्ति के  अनुभव ख़राब ही क्यों ना रहा हो। सामने वाले की ज़िद पर जल्दी ही राज़ी हो जाते हैं। भले ही आपका मन ना हो। इंसान चाहे कैसा भी हो पर उसकी ख़राब स्थिति में भावुक हो जाते हैं, और मदद के लिए तत्पर। 

2024 में भी जब लोगों को पुत्र मोह ने घेर रखा है, मेरे पिता जी ने अपनी ऊरु को हर तरह से सक्षम बनाया है। और सही  बेटियां अपने माँ - पिता जी के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करने लगेंगी तब शायद ये पुत्र प्राप्ति की इच्छा भंग होगी। 


दादा जी से किन्ही बातों पे अलग विचार होने के बाद भी,आपने हमारे परिवार को सँभालने में इंजन की भूमिका निभाई। तिरस्कारों को पी जाना और फिर मुस्कुराकर सबको एकजुट रखने का हर संभव प्रयास करते रहना। 

आप बेहद प्रगतिशील मानसिकता के धनी हैं। नवीनता आपको रास आती है। हमेशा नया प्रयोग करने के लिए उत्सुक और साहसी रहते है। आधुनिकता और नवीनता को सराहते हुए भी अपनी जड़ों को बुलंद रखा है।  
आपमें अपनी अलग सोंच को विरोधी वातावरण में कह देने का साहस है। 

स्त्री-पुरुष, छोटे-बड़े, घर -बाहर, अपने पराये सबके प्रति ज़िम्मेदारी समझना और उसका पूरे दिल से निर्वाह करना। मैंने अपने जीवन में, अपने रिश्तों में देखा है की हर पुरुष ऐसा नहीं होता। सम्मान नहीं दिया जाने पर भी उस व्यक्ति या परिवार के सामान में कोई कमी ना रखना। 

आँखों के सामने से कभी ओझल ना हो उस ऊरु को काम और विकास के लिए मीलों दूर भेज देने का साहस जुटाना। बनती तो मेरी भी आप से नहीं है पिता जी, पर मेरी इच्छाओ को पूरा किया। मेरी पसंद को बिना किसी प्रश्न के अपने स्वीकारा लिया और अपना भी लिया। 



हाँ , बिलकुल वही गुण हैं जो पिता में होते हैं। पर ज़रूरी नहीं ना की हर पुरुष पिता बन ही जाए। यहाँ, मेरा मतलब उसकी शारीरिक क्षमता पर नहीं है। मैं यहां व्यक्ति के मन और हृदय के भीतर रहते भावों की बात कर रही हूँ। प्राकृतिक और नैसर्गिक रूपों से पिता बनना एक बात है। और हृदय से पिता बनना एकदम दूसरी। शायद ये तभी संभव हो पता है जब प्रभु आप को पिता बनने और उसे जीने का आशीर्वाद दें। वरना आप केवल एक इंसान ही रहते हो जिसने दुसरे इंसान को जन्म देने में एक तरह का योगदान दिया है। और ये सब माँ  पर भी भी लागू होता है जिसका बारे में मैं आपसे अगले ब्लॉग में साझा करुँगी।  

एक बार मैंने आपसे आपके नाम का मतलब पूछा था। तो आपने बताया था कि "सुनील" यानी 'अच्छे नील (करम) हो जिसके'। और आज आपकी जीवन यात्रा को देखर ऐसा ही लगता है की दादा दादी जी द्वारा दिए गए नाम को अपने सार्थक बनाया है। 

मेरी दृष्टि में माही भी बेहद भाग्यशाली हैं जिन्हे सास-ससुर के रूप में तो बड़ी उम्र के दोस्त मिले हैं। जिनकी बड़ी उम्र का फायदा ये है की आप दोनों के पास अपने खट्टे-मीठे अनुभवों की रोचक कहानियां हैं। ये कहानियां सहज ही जीने के अनोखे पर सरल अंदाज़ सिखाती है।  किसी भी बच्चे को अपने माँ-पिता जी से यही चाहिए होता है।आपने पिता की भूमिका को केवल एक जिम्मेदारी नहीं बल्कि प्रेम के रूप में निभाया है। 

कहते हैं ना की पृथ्वी का संतुलन ऐसे ही विशेष लोगों की वजह बना हुआ है जो समर्पण के भाव से जीते आये हैं। उन्होंने कभी अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं किया। 

सब कहते हैं की मैं दिखने में आपकी कार्बन कॉपी हूँ। कहते हैं जब बेटियां पिता पे जाती हैं तो भाग्यशाली होती हैं। और मैं मेरे भाग्य को अक्सर धन्यवाद देती हूँ क्यूंकि मेरे अनुभव ज़्यादातर मीठे रहे हैं। मैं कोशिश करती रहूंगी की आपके व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब मेरे भीतर से भी झलके। 

आपकी ऊरु 

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