क्या सिखा गए रतन टाटा !

क्या आपको रतन टाटा के बारे में ये पता है?

व्यक्ति जब साधारण से ऊपर जी जाता है तब उसका जीवन प्रेरक कहानियों का संग्रह बन जाता है। आनंद फिल्म का एक डायलॉग है, "बाबूमोशाय जिंदगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए"। और प्रभु ने इन्हे दोनों आशीर्वाद दिए हैं। हमारे बेहद प्रिय श्री रतन टाटा। ये उद्योग जगत के राजा थे जिन्होंने अपने भारत के लिए विभिन्न क्षेत्रों में दशकों तक याद रखे जाने वाले सैकड़ों कार्य किये हैं। उद्योगपति तो अनेकों निकले इस देश से पर राजा तो कोई कोई ही होता है। टाटा खानदान की ये खासियत रही है। इन्होने अपनी सेवा, सरलता और सहजता से अपने देशवासियों का दिल बार बार जीता है।  

जानिये अपने प्रिय रतन जी को कुछ सुने कुछ अनसुने वाकयों से जो उनकी मोहक छवि को बयां करते हैं। रतन टाटा की दिनचर्या में कुछ ऐसे शौक हैं जो उनकी सरलता और सादगी को उजागर करते हैं। 



उन्हें अपने पालतू कुत्तों को टहलाने का बेहद शौक है। जब भी समय मिलता है, वो अक्सर समुद्र किनारे सैर करने निकल जाते हैं, क्योंकि ये उन्हें शांति और ताजगी का अनुभव कराता है। संगीत से उनका गहरा लगाव है, और उनके पसंदीदा म्यूसिक में जैज़ और क्लासिकल म्यूजिक शामिल हैं। हालांकि, रतन टाटा टी.वी. कभी-कभार ही देखते हैं और फिल्मों को लेकर उनकी पसंद भी बेहद अलग है।

एक दिलचस्प बात यह है कि रतन टाटा ने कभी मूवी थिएटर में जाकर फिल्म नहीं देखी। हिंदी सिनेमा की बात करें, तो वह इसे बहुत पसंद नहीं करते। उनके अनुसार, बॉलीवुड की फिल्मों में हिंसा की भरमार होती है और जितना टमाटर केचअप फिल्म में बहता है, उतना शायद मुंबई के किसी रेस्तरां में भी इस्तेमाल नहीं होता होगा।

उनका मिजाज कुछ ऐसा है कि जब भी टी.वी. देखने बैठते हैं, तो एक साथ 5 चैनल्स बदलते रहते हैं, शायद एक भी चैनल पर पूरी तरह से नहीं टिकते। यह उनकी उत्सुकता और अलग-अलग चीज़ों को समझने की गहरी जिज्ञासा को दर्शाता है।



उनकी यादों में एक किस्सा तब का है जब वो स्कूल में पढ़ते थे। हर रोज उन्हें लेने उनकी दादी जी की रोल्स रॉयस कार से स्कूल के गेट पर आती थी, जिसमें आगे ड्राइवर की अलग ही दुनिया होती थी और पीछे बैठने वालों की अलग। क्यूंकि दोनों के बीच एक बड़ा सा पार्टीशन था, जिससे ना तो ड्राइवर को पीछे बैठा व्यक्ति दिखता और ना ही पीछे बैठे को ड्राइवर का चेहरा। क्यूंकि बाकी बच्चों को लेने साधारण तरीके से उनके अभिवाहक आते थे इसलिए असाधारण और राजसी ठाठ से रतन सर खुद को बेहद अजीब और शर्मिंदा महसूस करते थे। इसलिए दोनो भाई स्कूल से पैदल ही घर निकल पड़ते और कार उनके पीछे चलती। वो अपने डैडी से बार-बार कहते, "प्लीज़, इस कार के अलावा कोई और गाड़ी भेजो न! दोस्तों के सामने बहुत अजीब लगता है।"



रतन टाटा को जॉन एफ. केनेडी से खास लगाव था, जो उनकी करिश्माई नेतृत्व शैली, दूरदर्शी सोच और नैतिकता पर आधारित था। केनेडी का आत्मविश्वास और कठिन हालात में सूझबूझ से काम लेना, रतन टाटा के लिए प्रेरणादायक था। केनेडी की विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति प्रगति की सोच, विशेष रूप से चांद पर इंसान भेजने का उनका सपना, टाटा की नवाचार और भविष्यवादी दृष्टि से मेल खाता था। इसके अलावा, केनेडी का सार्वजनिक सेवा पर जोर और उनका मशहूर उद्धरण—“अपने देश से ये मत पूछो कि देश तुम्हारे लिए क्या कर सकता है, बल्कि ये पूछो कि तुम अपने देश के लिए क्या कर सकते हो”—रतन टाटा के सेवा और नैतिकता के सिद्धांतों से जुड़ा था। अंत में, केनेडी का युवाओं को प्रेरित करना और आशावाद टाटा के लिए अत्यधिक प्रशंसा का कारण बना।



रतन टाटा के बारे में जो उन्हीं के फ्रैटर्निटी के दूसरे लोग है, जैसे की इंफोसिस के चेयरमैन श्री नारायण मूर्ति और और बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, इनके भी अपने अपने वाकये रहे हैं। श्री नारायणमूर्ति बताते हैं कि बड़े हाई स्टैंडर्ड के रहे हैं रतन टाटा। इस तरह का व्यक्ति उन्होंने जीवन में कभी देखा नहीं।  उन्होंने रतन सर के लिए कहा - कंपैशनेट कैपिटलिज़्म। ह्यूमैनिटेरियन फिलेंनथ्रोफिस्ट। वहीं कुमार मंगलम बिरला साझा करते हैं की जब उनके पिता जी का देहांत हुआ तब रतन सर कोट पैंट भीगे हुए पूरा समय उनके साथ खड़े रहे और कहा की कभी भी ज़रूरत हो तब मैं हमेशा हूँ। 



आकर्षक बात यह है कि जो मुंबई का ताज होटेल है उसमें किसी भी प्रकार के कुत्तों को जाने की पूरी परमिशन है और कोई उन्हें अंदर जाने से मना नहीं कर सकता। उसकी सख्त मनाही है। तो चाहे वो स्ट्रीट डॉग्स हो, चाहे वो लावारिस हो, कैसे भी हो वो उताज होटल, मुंबई के परिसर में जा सकते। 

जमशेदपुर जिसे वहां के लोग टाटा समूह के प्रति आदर और सम्मान से टाटानगर भी बुलाते हैं, उसका एक और उदाहरण है। यह शहर इतना विकसित था कि वो अपने वक्त से भी आगे चल रहा था और ये देन थी टाटा समूह की, टाटा की सोच की, उनकी लेगेसी की। 













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