पूरा जाने बिना राय कैसे बना सकते हैं? क्या केवल अपने हिस्से के सच को जानकर संतुष्ट हो जाना ठीक बात है? क्या सिर्फ अपने …
वो 12 मिनट मेट्रो के वह ऑफिस जाने के लिए सुबह 8:15 की मेट्रो पकड़ती थी। 9 से 6 वाले काम का उसका पहला ही अनुभव था। सुबह …
चलो जीते हैं "हम क्यों जी रहे हैं?" वही प्रश्न, कई बार सुन चुके, कभी हमने भी किसी से किया होगा, किसी ने हमसे…
थोड़ी दूरी, है ज़रूरी चाहे कोई परिस्थिति हो, कोई व्यक्ति या कोई चीज़, किसी का स्वरुप हमेशा एक जैसा नही रहता। ऐसे में हम ज…
कुछ भी पाने के लिए पात्र बनना पड़ता है। जितनी म्हणत हम अपनी नौकरी में करते हैं उस से थोड़ी ज़्यादा म्हणत हमे खुद पर करनी …
ज़िन्दगी की राहों में खुश लम्हे आजु-बाजु से गुजरते रहते हैं। मिलो, तो मुलाकात हो। मिलो, तो। एक अच्छे-खासे दिख रहे व्यक…
हमारी संस्कृति का मूल प्रकृति और हमारे समन्वय से है। हमारे हर पर्व, परंपरा का आधार प्रकृति ही है। जिन सिद्धांतों पर प्र…
हम सभी अपनी अपनी यात्रा पे हैं। यही जीवन यात्रा, जहाँ भांति भांति के लोग मिलते हैं और बिछड़ते भी हैं। बिछड़ने पर हम उदास …
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