सिर्फ एक चीज़ ही काफी है! जब हम कहते हैं "कोई कहां से कहां पहुंच गया", तब ह…
मदद का इत्मीनान भी बहुत कुछ कर जाता है पर्व त्यौहार के लिए खरीदारी करने बाजार जाते समय अगर हम कारीगरों और विक्रेताओं …
उत्सवी उत्साह को जिंदगी में ऐसे थाम लिया जाए पर्व खुशगवारी लाते हैं। कई दिन पहले से ही हम इसकी तैयारी में जुट जाते हैं…
कहां हैं आप? कहां होना चाहते हैं? मज़ाक नहीं, वाक़ई यह प्रश्न है मेरा। थोड़ा विस्तार से पूछती हूं। मैं उस पते की बात नहीं …
क्यूंकि आपके होने से किसी को फर्क पड़ता है अपनों की सुध लेना, उन्हें सुनना, आजकल उतना ही ज़रूरी है जितना की प्राणवायु (o…
How (& Why) to Forgive Someone Who Has Not Asked For It? “To forgive is to set a prisoner free and discover that th…
I Found My Happy Place हमे कभी घर से भागने की, स्कूल, ऑफिस बंक करने की हिदायत तो नहीं दी जा सकती, लेकिन कभी-कभी यह इतन…
'आनंद' के 50 साल इस फिल्म ने हम सभी को ज़िन्दगी को देखने के कई नज़रिये दिए हैं। ज़िन्दगी क्या है, इसकी अहमियत क्य…
चलो जीते हैं "हम क्यों जी रहे हैं?" वही प्रश्न, कई बार सुन चुके, कभी हमने भी किसी से किया होगा, किसी ने हमसे…
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