उत्सवी उत्साह को जिंदगी में ऐसे थाम लिया जाए पर्व खुशगवारी लाते हैं। कई दिन पहले से ही हम इसकी तैयारी में जुट जाते हैं…
कहां हैं आप? कहां होना चाहते हैं? मज़ाक नहीं, वाक़ई यह प्रश्न है मेरा। थोड़ा विस्तार से पूछती हूं। मैं उस पते की बात नहीं …
जिसे जीवित देख रहे हैं, वो भीतर से भी जीवित है! आप कितने जिंदा हैं? महज़ सांसों का चलना, जीवित होने का कितना सही मापदंड…
How Do You Want to Feel at the End of Your Life? Excited or exhausted? Everyone wants happiness. However, the majority …
Who could be blind to Trees? Have we become so ignorant towards the nature around us that has coined a term called tres…
चलो जीते हैं "हम क्यों जी रहे हैं?" वही प्रश्न, कई बार सुन चुके, कभी हमने भी किसी से किया होगा, किसी ने हमसे…
एक चावल के दाने की जांच से पूरी हांड़ी का सच जान लेने जैसी बात है यह सौम्य-सभ्य आचरण आकर्षक होता है कुछ साल पहले की बात…
बीती सदियों कि बसाहटों कि जड़ें बेहद गहरी होती हैं। तहज़ीब भी इनकी बाहों में होती है और रिवाज भी इन्हे पहचानते हैं। शहर क…
ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, कुछ साल ही तो हुए हैं। बस्तियां इस तरह फ़ैल गयी हैं दूर दूर तक, हर कहीं -हर जगह। एक दिन सोंचा…
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