पूरा जाने बिना राय कैसे बना सकते हैं? क्या केवल अपने हिस्से के सच को जानकर संतुष्ट हो जाना ठीक बात है? क्या सिर्फ अपने …
सिर्फ एक चीज़ ही काफी है! जब हम कहते हैं "कोई कहां से कहां पहुंच गया", तब ह…
वो 12 मिनट मेट्रो के वह ऑफिस जाने के लिए सुबह 8:15 की मेट्रो पकड़ती थी। 9 से 6 वाले काम का उसका पहला ही अनुभव था। सुबह …
मदद का इत्मीनान भी बहुत कुछ कर जाता है पर्व त्यौहार के लिए खरीदारी करने बाजार जाते समय अगर हम कारीगरों और विक्रेताओं …
उत्सवी उत्साह को जिंदगी में ऐसे थाम लिया जाए पर्व खुशगवारी लाते हैं। कई दिन पहले से ही हम इसकी तैयारी में जुट जाते हैं…
कहां हैं आप? कहां होना चाहते हैं? मज़ाक नहीं, वाक़ई यह प्रश्न है मेरा। थोड़ा विस्तार से पूछती हूं। मैं उस पते की बात नहीं …
जिसे मन में जगह दी है, जुबां पर उसी की गंध रहती है बातों का लहजा बता देता है कहने वाले का मन कैसा है कुछ लोग हमेशा क…
जिसे जीवित देख रहे हैं, वो भीतर से भी जीवित है! आप कितने जिंदा हैं? महज़ सांसों का चलना, जीवित होने का कितना सही मापदंड…
जब रिश्ते सिर्फ "क्या किया" से बनते हैं तब उनमे वो मज़बूती नहीं रहती जिसे हम ढूंढ रहे हैं। रिलेशनशिप, आजकल य…
दिखा तब, जब अंधेरा छा गया कहते हैं, अंधेरे में दिखना बंद हो जाता है। रौशनी ही आंखों की सहेली है। और अंधेरा रौशनी का सा…
आम सी जिंदगी ! कभी चिड़िया को मिटटी में लोटने के बाद पंख फड़फड़ाते देखा है? इस दृश्य को देखते ही भावुक होता हुआ एक किसान अ…
कैसे मैं कहूं तुमसे, तुम्हारे दर्द में शामिल हूं मैं? कोविड ने दूरियों को तीखा और असहनीय बना दिया है। ना बीमार की देख…
I Found My Happy Place हमे कभी घर से भागने की, स्कूल, ऑफिस बंक करने की हिदायत तो नहीं दी जा सकती, लेकिन कभी-कभी यह इतन…
Copyright (c) 2020 Kahani Gram All Rights Reseved